आगरा
आगरा में एत्माद्दौला थाने के सुशील नगर स्थित ब्रह्मपुरी मोहल्ले में दोहरे हत्याकांड के बाद पांच साल का बालक अकेला रह गया है। मां पूजा की हत्या हो गई है। इसके आरोप में पिता गौरव, चाचा अभिषेक, बाबा मदन और दादी नीलम जेल चले गए। नाना-नानी उसे लेने से मना कर रहे हैं। ऐसे में तीन दिन से बालक को थाने में पुलिसकर्मी संभाल रहे थे। रविवार को वह मां की याद में रोने लगा। बार-बार मां को बुलाने की जिद की। पुलिसकर्मी उसे दुलारने लगे लेकिन उसका रोना बंद नहीं हुआ। इस पर पुलिस ने उसकी चाची काव्या को बुलाया और उन्हें समझाकर अस्थायी रूप से बालक को उनके सुपुर्द कर दिया। बाल कल्याण समिति बालक को सुपुर्दगी में देने के संबंध में निर्णय लेगी। तब तक वो उसकी देखभाल करती रहें। ब्रह्मपुरी मोहल्ले में शुक्रवार दोपहर को दोहरा हत्याकांड हुआ था। पूजा और उसके पड़ोसी शिवम की डंडे व बांक से प्रहार कर हत्या कर दी गई थी। मामले में मुकदमा दर्ज हुआ। इसमें पति सहित छह को आरोपी बनाया गया। पति, ससुर, देवर और सास को पुलिस ने जेल भेज दिया है। मृतका पूजा की देवरानी और एक अन्य के संबंध में पुलिस जांच कर रही है।
जेल भेजे गए गौरव का पांच साल का बेटा और 13 साल का भाई भी है। हत्याकांड के बाद से दोनों पुलिस के पास थाने में थे। पहले दिन मासूम बालक को नानी इंद्रा देवी अपने साथ ले जाना चाहती थी। मगर, पुलिस ने कानूनी कार्रवाई पूरी होने तक उनकी सुपुर्दगी देने से मना कर दिया। अब नानी उसे लेने नहीं आई हैं। वहीं 13 साल के भाई के पास भी कोई नहीं आया। दोनों को पुलिसकर्मी ही संभाल रहे थे।
थाना एत्माद्दौला के प्रभारी निरीक्षक सत्यदेव शर्मा ने बताया कि बालक अपनी मां की याद में रो रहा था। इस पर आरोपी गौरव के भाई अभिषेक की पत्नी काव्या को बुलाया गया। उनसे कहा गया कि वह अस्थायी रूप से बालक को अपने पास रख लें। बाल कल्याण समिति बालक को सुपुर्दगी में देने के संबंध में निर्णय लेगी। तब तक वो उसकी देखभाल करती रहें। वहीं गौरव का छोटा भाई भी उनके साथ ही रहेगा। इस पर काव्या तैयार हो गई। दोनों को अपने साथ लेकर चली गई। उधर, मासूम बालक तीन दिन से थाने में था। वो अपनी मां को याद करके रोए नहीं, उसके लिए पुलिसकर्मी तीन दिन से उसकी जरूरत का ख्याल रख रहे थे। उसके सुबह उठते ही कपड़े बदलते हैं। खाने के लिए देते थे। अगर, वो गुमसुम हो जाता है तो बहलाने लगते थे। कभी टॉफी तो कभी चॉकलेट लाकर दे देते। कभी वो खेलने लगता तो कभी चाचा के पास बैठ जाता था। इस दौरान कई बार मासूम की आंखें सिर्फ अपनों को देखती रहती थीं। पूछने पर एक ही जवाब देता कि मम्मी मर गई, पापा जेल चले गए।
प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि उन्होंने पांच साल के बालक को रखने के लिए नानी इंद्रा देवी से बात की थी। मगर, उन्होंने कहा कि पति बीमार रहते हैं। एक बेटी है। उनकी बेटी पूजा की मौत हो गई है। अब वो बच्चे को कैसे रखें। उसकी देखभाल कौन करेगा। वह खुद भी एक अस्पताल में काम करती हैं। बच्चा छोटा है। उन्होंने फिलहाल बच्चे को ले जाने से मना कर दिया।
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