भीषण गर्मी ने जहां बेहाल कर रखा है, तो वहीं बिजली की मांग भी बढ़ गई है। फरवरी में 2.28 करोड़ यूनिट खर्च हुई। मार्च में 3.29 और अप्रैल में 3.15 करोड़ यूनिट खर्च हो चुकी हैं।
एटा में भीषण गर्मी के बीच लोगों को पंखे-कूलर, एसी, फ्रिज आदि में काफी बिजली फूंकनी पड़ रही है। जिसके चलते इसकी मांग एक करोड़ यूनिट तक बढ़ गई। भले ही अप्रैल माह में मार्च की अपेक्षा 14 लाख यूनिट बिजली कम खर्च हुई, लेकिन मई माह में आंकड़ा चार करोड़ यूनिट से ऊपर पहुंचने की संभावना है।
बिजली उपभोक्ताओं ने फरवरी माह में 2.28 करोड़ यूनिट बिजली खर्च की। इसके साथ ही सर्दियां समाप्त हो गईं और इस बार मार्च में ही भीषण गर्मी पड़ने लगी थी। यहां तक कि गर्मी के पिछले कई साल के रिकॉर्ड इस बार मार्च में टूटे थे। जिसके चलते लोगों के पंखे, कूलर और एसी समय से पहले ही चालू हो गए और बिजली का खर्चा अचानक बढ़ा। विद्युत निगम के उपकेंद्र और ट्रांसफार्मर पर लोड बढ़ गया। मार्च माह में कुल 3.29 करोड़ यूनिट बिजली खर्च हो गई। अप्रैल माह में आंधी, बारिश, ओलावृष्टि से कुछ दिन गर्मी से राहत मिली तो अपेक्षाकृत रूप से खर्च में कमी आई। इस माह 3.15 करोड़ यूनिट बिजली खर्च की गई।
जबकि पिछले साल फरवरी माह में 2.20 करोड़ यूनिट बिजली खर्च की गई थी। वहीं मार्च माह में फरवरी माह के सापेक्ष 81 लाख यूनिट अधिक यानी 3.01 करोड़
यूनिट खर्च की गईं। वहीं अप्रैल माह में 2.41 करोड़ यूनिट उपभोक्ताओं ने खर्च की थीं।
देहात क्षेत्र की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में मार्च माह की तुलना में अप्रैल माह में सबसे ज्यादा बिजली खर्च की गई है। अप्रैल माह में रेलवे रोड फीडर से 33.50 लाख यूनिट खर्च की गई जबकि मार्च माह में 22.10 लाख यूनिट खर्च की गई। वहीं कोतवाली नगर व देहात फीडर से 44.50 लाख यूनिट खर्च की गईं। जबकि मार्च माह में 31.10 लाख यूनिट खर्च हुई
एसडीओ अमित पाल ने बताया कि जिले में मार्च माह में सबसे अधिक किसानों द्वारा बिजली की खपत की जाती है, दरअसल, मार्च माह में रबी की फसल में सिंचाई अंतिम दौर में होती है। इसके बाद सिंचाई बंद कर दी जाती है। फसल पकने के बाद अप्रैल माह में किसान फसल की कटाई करता है जिससे उपकेंद्र पर लोड कम पड़ता है। जिसकी वजह से अप्रैल माह में बिजली खर्च कम होती है।