जिले में डग्गामार बसों पर कार्रवाई के बाद परिवहन निगम की कमाई में प्रतिदिन 20 लाख रुपये पहुंच गई है। कमाई तो बढ़ गई, लेकिन यात्री खटारा बसों में ही यात्रा कर रहे हैं। आलम ये है कि इन बसों को स्टार्ट करने के लिए भी धक्का लगाना पड़ रहा है।
डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई के बाद एटा डिपो की आय छह लाख रुपये तक बढ़ गई है। पहले रोजाना 14 लाख रुपये राजस्व मिल रहा था। अब यह 20 लाख रुपये पहुंच गया है, लेकिन यात्री खटारा बसों में ही यात्रा कर रहे हैं। सीमित बसें चल रहीं हैं, यात्रियों को बैठने के लिए सीटें भी नहीं मिल पा रहीं। वहीं यात्री बसों को धक्का मारकर स्टार्ट करा रहे हैं।
एटा डिपो के पास 104 निगम की बसें है। यह बसें दिल्ली, कानपुर, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, सहित छोटे मार्गों पर जाती हैं। इसके अलावा डिपो में 46 बसें अनुबंधित हैं। यह बसें आगरा, कासगंज व बरेली तक जाती हैं। इनके संचालन से लगभग दस दिन पूर्व तक निगम की आय कभी 15 तो कभी 16 लाख रुपये हो रही थी। सीएम के निर्देश के बाद अधिकारियों द्वारा डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई की गई तो इससे डिपो की आय में बढ़ोतरी हो गई। पांच से छह लाख रुपये प्रतिदिन आय में इजाफा हो गया है, लेकिन बसों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं बढ़ाई गई है। यात्री खस्ताहाल बसों से ही यात्रा करने को मजबूर हैं।
डिपो में सामान के अभाव में 25 बसें खराब खड़ी हैं। यह बसें वर्कशॉप में खड़ी रहती हैं। सूत्रों की मानें तो इन बसों से सामान निकालकर अन्य बसों में डाल दिया जाता है। ये बसें अक्सर बीच रास्ते में धोखा दे जाती हैं और यात्रियों को धक्का लगाना पड़ता है।
एआरएम राजेश यादव ने बताया कि प्राइवेट व डग्गामार वाहनों से यात्रा करने वाले यात्री रोडवेज बसों में बढ़े हैं। इससे रोडवेज की आय में भी बढ़ोतरी हुई है। यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है