फिरोजाबाद
सूबे की सियासत में खास पहचान रखने वाली सुहागनगरी में अबकी बार किसकी लहर चली, इसका तस्वीर गुरुवार को दोपहर को साफ नजर आने लगेगी। दावे भले ही सबके अपने-अपने हो, मगर टक्कर कांटे की है। पिछले तीन चुनावों में संघर्ष त्रिकोणीय रहा, लेकिन इस चुनाव में मुकाबला आमने-सामने का माना जा रहा है। हार-जीत के आंकड़े भी नजदीक होने की पूरी संभावनाएं नजर आ रही हैं। 2017 के चुनाव से पलटवार करने वाली भाजपा और गढ़ के रूप में काबिज रही सपा ने इस बार के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकी।
भाजपा की तरफ से गृहमंत्री अमितशाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और डा. दिनेश शर्मा ने चुनावी जनसभाएं की। वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सिरसागंज विस में चुनावी जनसभा के बाद मतदान के एक दिन पहले तूफानी अंदाज में चार विस क्षेत्रों में सभाएं कर ताकत दिखाई। सपा गठबंधन के साथी रालोद के मुखिया जयंत भी आए। हर जनसभा में भीड़ जुटी मगर भीड़ को कौन कितना वोटों में तब्दील कर पाया, ये कल पता चल जाएगा।
सपा के गढ़ के रूप में सुहागनगरी को पहचान इसी चुनाव में मिली थी। सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव 1993 में सपा-बसपा गठबंधन से शिकोहाबाद सीट से उतरे। चुनाव परिणाम में क्लीन स्वीप किया। उस समय जिले के चारों विस सीट फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, जसराना और टूंडला में सपा ने जीत हासिल की। इसके बाद पार्टी ने 2002 में चारों सीटें जीतकर एक बार फिर क्लीन स्वीप किया। इसके बाद तगड़ा झटका लगा। 2007 में एक भी सीट नहीं जीत पाई, मगर 2012 में सिरसागंज नई विस सीट बनी और सपा ने तीन सीटें जीत लीं। 2017 में केवल एक सीट मिली।