जब बाबा साहब को विरोध के आगे झुकना पड़ा
अनशन की वजह से महात्मा गांधी की तबीयत लगातार बिगड़ने लगे. अंबेडकर पर अछूतों के अधिकारों से समझौता कर लेने का दबाव बढ़ने लगा. देश के कई हिस्सों में भीमराव अंबेडकर के पुतले जलाए गए. उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. कई जगहों पर सामान्य वर्ग के लोगों ने दलितों की बस्तियां जला डालीं.
आखिर में बाबा साहब को झुकना पड़ा.

अंबेडकर ने बेमन से पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर 24 सितंबर 1932 को शाम 5 बजे पुणे की यरवदा जेल पहुंचे. यहां महात्मा गांधी और बाबा साहब अंबेडकर के बीच समझौता हुआ, जिसे पूना पैक्ट कहा गया. कहा जाता है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बेमन से रोते हुए पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते में दलितों के लिए अलग निर्वाचन और दो वोट का अधिकार खत्म हो गया. इसके बदले में दलितों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 147 और केंद्रीय विधायिका में कुल सीटों की 18 फीसदी कर दी गई.

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