मुहल्ले का ही मामला था। एक मजदूर की गरीबी किसी से छिपी नहीं थी। वो अपनी दादी के अंतिम संस्कार की सामग्री खरीदने के लिए पायल गिरवीं रखने पहुंचा। वो भी इतने बेदर्द कि उन्हें ऐसे मौके पर पायल गिरवीं रखते शर्म भी न आई और एक हजार रुपये दे दिए। इस रकम से ही मजदूर ने अपनी दादी के अंतिम संस्कार की सामग्री खरीदी।
मामला एटा के नगला पोता का है। यहां 85 वर्षीय रामलली तीन नातियों के साथ रहती थी। एक नाती विशाल मजदूरी करके पेट पाल रहा है जबकि इसके दोनों भाई छोटे हैं। रामलली के बेटा और बहू का निधन पहले ही हो चुका है। रविवार सुबह रामलली ने अंतिम सांस ली। अब विशाल के सामने दादी का अंतिम संस्कार करने की दिक्कत थी। जमा पूंजी पिता के इलाज में खर्च हो चुकी थी। चार महीने पहले ही पिता की मौत हो गई थी। कोई रास्ता न देख विशाल ने दादी की पायलें गिरवीं रखने की सोची। वो चांदी की दोनों पायलें लेकर मुहल्ले के ही एक व्यक्ति के यहां पहुंचा। दोनों पायलों की एवज में उसे एक हजार रुपये दे दिए। विशाल ने इन रुपयों से अंतिम संस्कार की सामग्री खरीदी।