जिन सनातन गोस्वामी के निर्वाण की तिथि पर गोवर्धन में राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेले का आयोजन होता है, उन सनातन गोस्वामी का नंदगांव से गहरा लगाव रहा है।
नंदगांव के बच्चे-बच्चे की जुबान पर सनातन गोस्वामी और उनके छोटे भाई रूप गोस्वामी के साथ हुए चमत्कारों के किस्से हैं।सनातन और रूप गोस्वामी ब्रजवास के दौरान नंदगांव में भी रहे। दोनों भाइयों की यहां भजन स्थली आज भी हैं। सनातन गोस्वामी की भजन स्थली पावन सरोवर के निकट है, रूप गोस्वामी की भजन स्थली कदंब टेर है। सनातन गोस्वामी के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि सनातन जब नंदगांव आए तो उन्होंने पावन सरोवर के निकट अपनी कुटिया बनाई, जो आज भी भजन कुटीर के नाम से प्रसिद्ध है।
सनातन और रूप गोस्वामी ब्रजवास के दौरान नंदगांव में भी रहे। दोनों भाइयों की यहां भजन स्थली आज भी हैं। सनातन गोस्वामी की भजन स्थली पावन सरोवर के निकट है, रूप गोस्वामी की भजन स्थली कदंब टेर है। सनातन गोस्वामी के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि सनातन जब नंदगांव आए तो उन्होंने पावन सरोवर के निकट अपनी कुटिया बनाई, जो आज भी भजन कुटीर के नाम से प्रसिद्ध है।
इस कुटिया में वे कई-कई दिन तक बिना खाए-पिए गहरी समाधि में रहते थे। उनकी इस कठिन भक्ति को देखकर स्वयं श्रीकृष्ण ग्वाला का रूप धारण कर दूध लेकर उनके पास पहुंचे। दूध देकर वहां से गायब हो गए। सनातन गोस्वामी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस निर्जन वन में ये बालक उनके लिए बिना कहे दूध लेकर आया है। उन्होंने दूध पिया तो कुछ दिव्य पेय का अनुभव हुआ। वे समझ गए कि उनके उपवास को कन्हैया सह न सके और दूध लेकर आ गए। इसके अलावा एक अन्य घटना छोटे भाई की भजन स्थली कदंब टेर की भी है।
महंत ऋषिकेश दास ने बताया कि एक बार जब सनातन गोस्वामी अपने छोटे भाई रूप गोस्वामी से मिलने पहुंचे तो रूप को लगा कि वे इनके आतिथ्य के लिए गांव से खीर मांगकर ले आएं। रूप के गांव से वापस लौटने से पहले ही राधारानी बालिका का रूप रखकर सनातन को खीर खिला गई। उस खीर में भी दिव्य स्वाद था। बालिका की गांव में पहचान की गई लेकिन पता न लग सका। इसीलिए आज भी इस स्थान पर खीर का प्रसाद लगाकर भक्तों को बांटा जाता है।