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आगरा में 43 लाख की लूट करने वाला 50 हजार का इनामी निलंबित असिस्टेंट कमिश्नर गिरफ्तार

आगरा में चांदी कारोबारी से 43 लाख रुपये की लूट के मामले में फरार चल रहे 50 हजार के इनामी जीएसटी के निलंबित असिस्टेंट कमिश्नर अजय कुमार को मंगलवार को एसटीएफ लखनऊ और थाना लोहामंडी पुलिस ने ईदगाह बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया। वह समर्पण की तैयारी में था। इसके लिए कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया था। पुलिस ने आरोपी से लूट की रकम सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। वहीं अब वाणिज्य कर अधिकारी शैलेंद्र कुमार की पुलिस तलाश कर रही है।

मथुरा के गोविंद नगर निवासी चांदी कारोबारी प्रदीप अग्रवाल ने 12 मई को थाना लोहामंडी में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि वह बिहार से अपने चालक के साथ आ रहे थे। लखनऊ एक्सप्रेसवे पर जीएसटी अधिकारियों ने गाड़ी को रोक लिया था। जयपुर हाउस स्थित अपने कार्यालय लाकर 43 लाख रुपये लूट लिए थे। मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, लूट, धोखाधड़ी सहित अन्य धारा में मुकदमा दर्ज किया गया था।

पुलिस ने मुकदमे में नामजद आरोपी सिपाही संजीव कुमार और चालक दिनेश को जेल भेजा था। वाणिज्य कर के निलंबित असिस्टेंट कमिश्नर अजय कुमार और अधिकारी शैलेंद्र कुमार फरार चल रहे थे। दोनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। पुलिस ने दोनों के खिलाफ कुर्की पूर्व की कार्रवाई भी की थी। अजय कुमार लखनऊ के इंदिरा नगर के मूल निवासी हैं। यहां पर फिनिक्स पुष्पविला गार्डेनिया अपार्टमेंट में रहते थे।

मंगलवार शाम को अजय कुमार को एससटीएफ लखनऊ की टीम और थाना लोहामंडी पुलिस ने ईदगाह बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया। थाना लोहामंडी के प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार के मुताबिक, आरोपी बस से कहीं भागने की फिराक में था। उनके पास से लूट की रकम के एक लाख रुपये, पांच मोबाइल, एक फर्जी आधार कार्ड और एक कार की चाबी बरामद की है।

फोन का नहीं करते थे इस्तेमाल, बस और ट्रेन से सफर
पुलिस ने बताया कि अजय कुमार अपनी कार सिकंदरा स्थित अपने अपार्टमेंट की पार्किंग में छोड़ गए थे। वह दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्यम प्रदेश, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश तक में रहे। उन्होंने परिचितों के यहां शरण ली। मगर, ज्यादा दिन नहीं रुके। वह भागने के बाद फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे।

कई बार उन्हें होटलों में भी रुकना पड़ा था। उन्होंने अपनी गाड़ी का भी प्रयोग नहीं किया। क्योंकि गाड़ी नंबर के आधार पर पुलिस पकड़ सकती थी। बस और ट्रेन से ही जाते थे। अब समर्पण की तैयारी में थे। कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया था।  इस पर कोर्ट ने आगरा पुलिस से आख्या मांगी थी। इसकी सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि नियत थी।

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