अधिक गर्मी और पसीना किसी को पसंद नहीं आता है। सामान्य लोगों के लिए उमस और गर्मी परेशानी का कारण बनती ही है, लेकिन डायबिटीक लोगों के लिए ये और भी अधिक समस्याएं ले कर आती है। डायबिटीक लोगों के लिए ज्यादा तापमान और उमस कई प्रकार की चुनौती ले कर आता है। गर्मी में पसीना होता है और हवा के संपर्क में आने पर ये पसीना भाप बन कर उड़ जाता है, जिससे गर्मी से राहत मिलती है और स्किन कूल बनी रहती है, लेकिन जब गर्मी के साथ उमस होती है, तो ये हवा में नमी के कारण भाप बन कर उड़ नहीं पाता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आइए जानते हैं कि कैसे उमस और ब्लड शुगर लेवल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं-
उमस और ब्लड शुगर लेवल में कनेक्शन
- उमस और असंतुलित ब्लड शुगर लेवल का सीधा नाता है। अधिक उमस से पसीना होता है, शरीर से पानी निकलता है जो कि डिहाइड्रेशन पैदा कर सकता है। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से डिहाइड्रेशन जल्दी होता है। डिहाइड्रेशन के कारण खून में पानी की कमी होती है, खून गाढ़ा होने लगता है, खून में शुगर एकत्रित होने लगता है। ये शुगर ब्लड शुगर लेवल स्पाइक करता है और इस तरह उमस सामान्य शुगर लेवल में अनसंतुलन पैदा करता है।
- वहीं डायबिटीक लोगों में कुछ ब्लड वेसल डैमेज हो जाते हैं जिससे इन्हें तेज़ी से डिहाइड्रेशन की समस्या होती है। शरीर सामान्य लोगों की तरह प्रभावी तरीके से खुद को ठंडा नहीं कर पाती है। इससे थकान और चिड़चिड़ापन महसूस होता है और हीट स्ट्रोक का खतरा बना रहता है।
- आमतौर पर डिहाइड्रेशन के दौरान थकान के साथ सिरदर्द, अधिक प्यास लगना, चक्कर आना, ड्राई आइज़ और ड्राई माउथ जैसे लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं। खास डायबिटीक लोगों को लो ब्लड प्रेशर, हाइपोग्लाइसीमिया, पीले रंग की पेशाब, घबराहट, दिल जोरों से धड़कना, उल्टी, मांसपेशियों में खिंचाव जैसी समस्या हो सकती है।
- अधिक तापमान और उमस डायबिटीक व्यक्ति के शरीर के इंसुलिन उपयोग करने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। ऐसे में ढेर सारा पानी पिएं, सॉफ्ट ड्रिंक्स, शराब और कैफीन से दूरी बनाएं, सनबर्न से बचें और ब्लड शुगर लेवल मॉनिटर करते रहें।