आध्यात्मिक उन्नति का त्योहार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस बार जयंती योग में मनाई जाएगी। सोमवार को तड़के 3:38 बजे से ही अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। जो कि 27 अगस्त की मध्य रात्रि तक रहेगी। वही रोहिणी नक्षत्र सोमवार दोपहर बाद 3:54 बजे से प्रारंभ होगा और 27 को दोपहर 3:36 बजे पर समाप्त होगा।
दरअसल भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में हुआ था। पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि रोहिणी और अष्टमी तिथि का यह संयोग सोमवार की मध्य रात्रि में बनेगा। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार सोमवार को मध्य रात्रि में ही मनाया जाएगा।
इस बार खास बात यह है कि बाल गोपाल नंदलाल इस बार जयंती योग में जन्मेंगे। जिस कारण इस पर्व का महत्व कई गुना अधिक हो गया है। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे जैसे की भगवान कृष्ण के जन्म के समय संयोग बना है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा का वृषभ राशि में होना बेहद ही शुभ फलदायी रहेगा, साथ में अगर जन्माष्टमी पर सोमवार या बुधवार हो जाए तो यह बहुत ही दुर्लभ संयोग बनाता है।
जन्माष्टमी पर कैसे रखे व्रत व कैसे करें पूजा
पंडित राजीव शर्मा बताते है कि जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नानादि के बाद श्रीकृष्ण भगवान के लिए व्रत करने एवं भक्ति करने का संकल्प लेना चाहिए। मंत्र का जाप करे चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर कलश पर आम के पत्ते या नारियल स्थापित करें एवं कलश पर तिलक लगाए। इन आम के पत्तों से वातावरण शुद्ध एवं नारियल से वातावरण पूर्ण होता है।
पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें, एक थाली में कुमकुम, चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल, मौली, कलावा, रख लें। खोए का प्रसाद, ऋतु फल, माखन मिश्री ले लें और चौकी के दाहिनी ओर घी का दीपक प्रज्जवलित करें, इसके पश्चात वासुदेव-देवकी, एवं नंद-यशोदा, की पूजा अर्चना करें।