वाराणसी
बसपा ने शुरू में अतहर जमाल लारी को लोकसभा का टिकट दिया था, इससे पार्टी कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं थे। इस बीच पार्टी ने सर्वे कराया। इसमें पाया गया कि सामाजिक कार्यों के आधार पर सैय्यद नियाज अली उर्फ मंजू की लोकप्रियता कहीं अधिक है। इस कारण सीधे बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंजू को बुलाकर वाराणसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया।
मंजू की मायावती से 18 अप्रैल को लखनऊ में मुलाकात हुई थी। वहीं टिकट कटने की आशंका लारी को भी शुरू से ही थी। कार्यकर्ता भी असहज महसूस कर रहे थे। खैर, टिकट कटते ही लारी बसपा के साथ भाजपा पर हमला बोलने लगे।
प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद मंजू ने शनिवार को पराड़कर स्मृति भवन में पदाधिकारियों के साथ बैठक की। प्रेसवार्ता में कहा कि बेरोजगारी खत्म करना उनकी प्रथम प्राथमिकता होगी। वह महंगाई, शिक्षा के साथ बुनकरों की समस्या आदि मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे।
बैठक में मुख्य अतिथि पूर्व सांसद घनश्याम चंद्र खरवार ने सैय्यद नियाज अली उर्फ मंजू को प्रत्याशी घोषित किए जाने की जानकारी दी। रामचंद्र गौतम, अमरजीत गौतम, विनोद कुमार समेत पार्टी कार्यकर्ता थे।
- मंजू 1977 में राजनीति में आए।
- 1995 में चुनाव जीतकर सपा से पार्षद बने।
- वे 2000 तक पार्षद रहे।
- इस दौरान कार्यकारिणी सदस्य भी थे।
- 2007 से 2010 तक बसपा में भी रहे।
- 2011 में अमर सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच शामिल हुए।
- वे अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
- 2012 में शहर दक्षिणी से विधानसभा चुनाव लड़े।
हालांकि इस बीच राजनीति से दूर रहकर समाज कार्य में जुट गए। इस दौरान वे देव दीपावली आयोजन समिति में महासचिव भी रहे।