हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी भाद्र पद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है।
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को है। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त इस पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। कृष्ण जी जगत के पालनहार भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कहा जाता है कि धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने ये अवतार लिया था। संपूर्ण विश्व में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अमर हैं। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था, इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात में की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में पूजा करते हैं। वहीं ज्योतिष में मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय कुछ मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं इन मंत्रों के बारे में…
शुद्धि मंत्र
ओम अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
जन्माष्टमी पूजन संकल्प मंत्र
‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये।
आवाहन मंत्र
अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।
आसन मंत्र
अर्घा में जल लेकर बोलें- रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वासौख्यकरं शुभम्। आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।
स्नान मंत्र
अर्घा में जल लेकर बोलें- गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे।।
पंचामृत स्नान
अर्घा में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को यह मंत्र बोलते हुए पंचामृत स्नान कराएं- पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु। शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।