आगरा कैंट रेलवे स्टेशन परिसर में पर्यावरण सहेजने की कवायद सफल हो रही है। स्टेशन के कचरे को बायोगैस प्लांट में इस्तेमाल किया जा रहा है तो सौर ऊर्जा से स्टेशन को बिजली की खपत पूरी हो रही है। कोच वाशिंग प्लांट के पानी का इस्तेमाल पौधों की सिंचाई के लिए किया जा रहा है। ऑफिसर कॉलोनी से लेकर रेलवे क्वार्टर्स तक हरियाली ही नजर आती है। दो साल में 1.50 लाख पौधे रोपे गए हैं। यही कारण है आगरा कैंट स्टेशन को ग्रीन रेटिंग मिल सकी है।
आगरा कैंट स्टेशन परिसर को हरा-भरा बनाने की कवायद दो साल से चल रही है। स्टेशन के रनिंग रूम के मैस में लोको पायलट और गार्डों के लिए भोजन बायोगैस प्लांट पर बनाया जाता है। यहां स्टेशन से एकत्रित कचरे का इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह रेलवे अधिकारियों के यमुना रेस्ट हाउस में भी बायोगैस प्लांट संचालित है। स्टेशन पर सौर ऊर्जा का उत्पादन भी होता है।
स्टेशन परिसर से लेकर डीआरएम ऑफिस तक सोलर पैनल से ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। रेलवे के मुताबिक 1588.40 किलोवाट बिजली का उत्पादन होता है। इससे स्टेशन व अन्य परिसर की जरूरतों को पूरा किया जाता है।
स्टेशन पर रेल नीर समेत अन्य पाने की बोतलों की खपत बड़े पैमाने पर होती है। रोज एक हजार से ज्यादा बोतल पानी की बोतले निकलती हैं इन्हें नष्ट करने के लिए बोतल क्रश मशीनें लगी हुई है।
रेलवे की ऑफिसर्स कॉलोनी से लेकर डीआरएम ऑफिस व अन्य परिसरों को हरियाली से आच्छादित किया गया है। वर्ष 2021 22 में डेढ़ लाख पौधे लगाए गए थे। इनमें से बड़ी संख्या में अब फल-फूल गए हैं। अब केवल स्टेशन परिसर में एक सौ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी देखभाल का जिम्मा स्टेशन अधीक्षक का है।
स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर छह की एक ओर एसटीपी संचालित है। इसे पानी को ट्रीटमेंट करके पटरियों की धुलाई अधिकारियों में इस्तेमाल किया जाता है।