आगरा
धरती की प्यास मिटाने और जलसंकट को दूर करने के लिए दशकों से यमुना नदी पर बैराज की आस है, लेकिन सब कुछ कागजों में दौड़ रहा था। अब नेशनल एंनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बाद फिर से उम्मीद जगी है। अभी चार एनओसी और बाकी हैं, लेकिन इसके बाद जो रबर डैम स्वरूप लेगा वो भी कुछ अलग होगा। साउथ कोरिया की विशेष रबर और तकनीक से इसका निर्माण किया जाएगा।
ताज बैराज खंड के सहायक अभियंता राज बहादुर सिंह ने बताया कि रबर बांध का बेस तो कंक्रीट पर ही खड़ा होगा, लेकिन इसमें स्टील के गेट नहीं होंगे। इसकी जगह रबर बैलून लगे होंगे, जिनके अंदर हवा भरी होगी। ये ही गेट का कार्य करेंगे और पानी को रोकेंगे। ये बैलून विशेष प्रकार की रबर से तैयार होते हैं, जिसे एथेलिन प्रोपाइलिन डाइन मोनोमर कहा जाता है। इनकी विशेषता ये भी है कि ये बुलेट प्रूफ होते हैं। साथ ही आवश्यकता अनुसार छोटा, बड़ा भी किया जा सकता है। बैलून के स्पिल वे के माध्यम से पानी का फ्लो बना रहेगा।
340 मीटर के कुल रबर डैम में 55-55 मीटर के पांच बैलनू गेट का निर्माण होगा। बैलून में हवा भरी होती है। वहीं पानी इसके ऊपर होकर गुजरेगा। अगर आवश्यकता होगी तो इनकी हवा निकाली भी जा सकती है। ये बैराज से सस्ता है और निर्माण में भी कम समय लगता है।
वैलून के अतिरिक्त 22.5 मीटर के दो नेवीगेशन गेट बनाए जाएंगे। इसमें से 14 मीटर चौड़ाई का जहाज निकल सकेगा। जलमार्ग को ध्यान में रखते हुए इनका निर्माण किया जाएगा। ये भी रबर के ही होंगे।
रबर डैम में जलस्तर 148 मीटर रहेगा। तकनीकि भाषा में इसे रिड्यूस लेबल कहते हैं। जलस्तर के बने रहने से भूगर्भ जलस्तर बढ़ेगा।