आगरा
फसलों पर मौसम की मार का शिकार हर बार किसान होते हैं। ओलावृष्टि और तेज हवा ने बागवानी को नुकसान किया तो बेर, नींबू, किन्नू की फसल प्रभावित हुई थी। वहीं बोवाई के समय और फसल के बीच में दो बार हुई बारिश ने आलू (राजा) के लिए संकट पैदा किया। पहली बार की बारिश से तो बोवाई देरी से हुई, जबकि दूसरी बार की बारिश ने किसानों से फसल में पानी लगाने में लापरवाही करा दी। इस समय आलू कंद की ग्रोथ हो रही थी। हाईब्रिड वैरायटी को छोड़ दें तो आलू कंद का आकार छोटा रह गया। इससे 80 फीसद खेत में कम पैदावार हो रही है। किसान 20 से 30 फीसद का नुकसान बता रहे हैं, जबकि उद्यान विभाग भी 10 से 12 फीसद का उत्पादन घटना स्वीकार रहा है।
आगरा मंडल में 1.67 हजार हेक्टेयर आलू का रकवा है। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के मध्य आलू की बोवाई होती है, जबकि खोदाई का कार्य 15 फरवरी से 15 मार्च के मध्य होता है। गत वर्ष आलू का उत्पादन मंडल में 45 लाख मैट्रिक टन हुआ था, लेकिन इस बार इस पर संकट मंडरा रहा है। खोदाई चल रही है और अधिकतर खेत में कम अालू निकल रहा है। फतेहाबाद के गांव खादरपुरा के किसान प्रमोद रावत ने बताया कि बारिश के कारण पानी नहीं लगाया था। कुल तीन पानी लगाए, जिससे आलू कंद का आकार घट गया है। इससे उत्पादन घट गया है।
बिचपुरी के किसान आनंद ने बताया कि एक बीघा में 60 से 65 कुंतल उत्पादन होता है, लेकिन इस बार 45 से 50 कुंतल ही आलू निकल रहा है। हर वैरायटी का अलग-अलग उत्पादन होता है, लेकिन 3797 की ग्रोथ नहीं हुई है। फतेहाबाद के किसान राजकुमार शर्मा ने बताया कि उन्हाेंने आलू की हाईब्रिड वैरायटी की थी, जो एक बीघा में 60 कुंतल लगभग निकल रहे हैं। ये गत वर्ष के अनुपात में ही है, लेकिन आस-पास जिन्होंने 3797 वैरायटी की है, उसमें उत्पादन घटा है। खंदौली के उजरई निवासी अमर पाठक ने बताया कि 100 बीघा में आलू उत्पादन करते हैं। प्रति बीघा 15 से 20 कुंतल तक कम उत्पादन हो रहा है। सेमरा निवासी सोनू चौहान 200 बीघा में आलू उत्पादन करते हैं। गत वर्ष प्रति बीघा 130 से 140 पैकेट (प्रति 50 किलोग्राम) निकले थे, लेकिन इस बार 25 से 30 पैकेट कम निकल रहे हैं।