HomeUttar PradeshAgraउत्‍पाद में खराबी निकले या सेवाओं से न हों संतुष्‍ट, न्‍याय पाने...

उत्‍पाद में खराबी निकले या सेवाओं से न हों संतुष्‍ट, न्‍याय पाने के लिए आप भी अपना सकते हैं ये रास्‍ता

आगरा
पति की मौत के बाद बीमा कंपनी ने उसकी उत्तराधिकारी पत्नी के क्लेम को खारिज कर दिया। मगर, विधवा कुसुम ने हार नहीं मानी। उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर दिया। अपना हक पाने के लिए जिला फोरम से लेकर राज्य उपभोक्ता आयोग तक 27 साल लंबी लड़ाई लड़ी। बीमा कंपनी से अपना क्लेम हासिल किया।

खंदारी के मास्टर प्लान रोड निवासी कुसुम शर्मा के पति राजेंद्र ने 14 मई 1993 को ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी से पालिसी ली थी। पालिसी की रकम चार लाख रुपये थी। बीमित अवधि के दौरान ही 28 दिसंबर 1993 को राजेंद्र अपने घर की सीढ़ियों से गिरकर घायल हो गए। कुसुम ने पति को अस्पताल में भर्ती कराया। वहां इलाज के दौरान 29 दिसंबर 1993 को उनकी मौत हो गई। कुसुम शर्मा ने पति की मौत के बाद पालिसी में नामिनी होने के नाते इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम प्रस्तुत किया। जिसे कंपनी ने खारिज कर दिया। जिस पर कुसुम शर्मा ने उपभोक्ता फोरम प्रथम में वाद प्रस्तुत किया। मार्च 2017 में उपभोक्ता फोरम ने उनका वाद खारिज कर दिया। फोरम के आदेश के खिलाफ कुसुम शर्मा ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तर प्रदेश में लखनऊ में अपील की। जिस पर राज्य आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य ने वादी कुसुम शर्मा के अधिवक्ता के तर्क के आधार पर उनके पक्ष में फैसला दिया था।बीमा कंपनी को देय बीमित राशि छह फीसद वार्षिक ब्याज की दर से देने के साथ ही दस हजार रुपये व्यय के रूप में दिलाने के आदेश किए। इस वर्ष जनवरी में उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने कुसुम शर्मा को नौ लाख, एक हजार रुपये का चेक दिया।

-हरीपर्वत निवासी उपभोक्ता डाक्टर सुरेंद्र शर्मा को भी 27 वर्ष बाद न्याय मिला। उन्होंने वर्ष 1995 में आगरा विकास प्राधिकरण में फ्लैट के आवंटन को धनराशि जमा की थी। फ्लैट नहीं मिलने पर एडीए से अपनी धनराशि लौटाने की कहा। धनराशि नहीं लौटाने पर उपभोक्ता फोरम प्रथम में शिकायत की। उपभोक्ता फोरम ने राष्ट्रीय लोक अदालत में डाक्टर सुरेंद्र शर्मा को आगरा विकास प्राधिकरण से मय ब्याज के तीन लाख पांच हजार रुपये की धनराशि दिलाई।

Advertisements
Advertisements

निर्मला देवी ने वर्ष 2013 में वाद प्रस्तुत किया था। आपसी सुलह समझौते के आधार पर बिल्डर से अपने वाद का निस्तारण किया।

-हिम्मत लाल ने मोटर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में वर्ष 2014 में वाद दायर किया था। उनकी कार की बैटरी बीमित अवधि में खराब हो गई थी। कंपनी द्वारा बैटरी को नहीं बदलने पर वाद दायर किया था। फोरम ने उनके पक्ष में फैसला किया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments