HomeUttar PradeshAgraन लेखनी थकी और न ही कभी कलम, पद्मश्री डा. उषा यादव...

न लेखनी थकी और न ही कभी कलम, पद्मश्री डा. उषा यादव से जानिए उनकी कहानी

आगरा
नौ साल की उम्र में ही अपनी लेखनी से अपनी प्रतिभा दिखाने वाली आगरा की डा. उषा यादव को पिछले साल पद्मश्री सम्मान मिला है। डा. यादव आज भी अपनी कलम को थकने नहीं दे रही हैं। लगातार बाल साहित्य और कविताओं का लेखन जारी है।
डा. यादव का जन्म कानपुर में हुआ था। शादी के बाद वह आगरा आ गईं। पिता चंद्रपाल सिंह मयंक बाल साहित्यकार थे। डा.यादव बताती हैं कि परिवार में हमेशा से ही लिखने-पढ़ने का माहौल था, तो वह भी इसकी ओर आकर्षित हो गई। उनकी पहली कविता स्कूल की पत्रिका में प्रकाशित हुई, जब वह नौवीं कक्षा में थीं। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके पसंदीदा साहित्यकार प्रेमचंद और शरद जोशी हैं। शादी के बाद वो अपनी कविताओं को जला देती थीं कि पति नाराज न हो जाएं। एक दिन पति ने डा. आरके सिंह ने उनकी रचनाएं देख लीं। तारीफ की और लिखने को प्रेरित किया। डा. यादव बताती हैं कि उसके बाद उनकी लेखनी का सफर तेज हो गया। डा. यादव अब तक सौ से ज्यादा पुस्तकों की रचना कर चुकी हैं। वे 30 साल तक अध्यापन से भी जुड़ी रहीं। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआइ और केंद्रीय हिंदी संस्थान में भी प्रोफेसर रहीं।

Advertisements

नार्थ ईदगाह निवासी डा. यादव ने बृज संस्कृति के उन्नयन के लिए काफी काम किया है। बृज परंपरा को बनाए रखने के लिए उनके दर्जनों आलेख राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी संग्रह टुकड़े-टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, उपन्यास प्रकाश की ओर, आंखों का आकाश सहित कई किताबों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। उनका बाल साहित्य बेहद पसंद किया गया। वे अब भी अपने घर पर लेखन कार्य करती हैं।

Advertisements
Advertisements

डा. यादव को अब तक तमाम पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके हिस्से की धूप उपन्यास के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी लेखन पुरस्कार दिया। उप्र हिंदी संस्थान ने बाल साहित्य भारती पुरस्कार दिया। इलाहाबाद में मीरा फाउंडेशन ने मीरा स्मृति सम्मान दिया। काहे री नलिनी उपन्यास के लिए मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी ने सम्मानित किया। भोपाल में बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र ने सम्मानित किया।

Advertisements
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments