आगरा
अक्षय तृतीया त्योहार मंगलवार मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में मनाई जा रही। ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग करीब 50 वर्ष बाद बन रहा है। अत्यंत शुभ योग में अक्षय तृतीय करीब 50 साल बाद पड़ रही है। पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि अक्षय तृतीया हिंदुओं व जैन समाज का यह शुभ त्योहार है, वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन किए कार्यों का अक्षय फल मिलता है इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया पिंडदान या अन्य दान से अक्षय फल मिलता है। गंगा स्नान से पाप और कष्ट मिटते हैं, क्योंकि अक्षय का मतलब है जिसका क्षय (नाश) न हो।
इस वर्ष अक्षय तृतीया पर सूर्य-चंद्र व शुक्र अपनी उच्च अवस्था (मीन राशि) में रहेंगे। साथ ही शनि (कुंभ राशि) और गुरु (मीन राशि) अपनी स्वराशि में स्थित होंगे। ऐसे शुभ योग में स्नान व दान से पुण्य प्राप्ति कई गुना बढ़ जाती है और ऐसे शुभ योग मांगलिक कार्यों और पुण्यफल प्राप्ति को कई गुना बढ़ा देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया पर पांच ग्रहों की ऐसी स्थिति महालाभ की प्राप्ति का संयोग दर्शाती है क्योंकि अक्षय तृतीया स्वयं में सिद्ध मुहूर्त है और इस दिन कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, वस्त्र, आभूषण, घर, जमीन या वाहन खरीदना आदि किया जा सकता है।