आगरा
एक मार्च को महाशिवरात्रि का व्रत है। महाशिवरात्रि को रात्रि पूजन का विशेष महत्व बताया गया है तो जो लोग रात्रिकालीन पूजन करते हैं वे 28 फरवरी की पूरी रात शिव आराधना में व्यतीत करेंगे। वहीं जो लोग इस साधना को नहीं कर पाते हैं उनके लिए अगले दिन यानी एक मार्च को व्रत का विधान है। यूं तो भाेले नाथ बहुत ही भाेल हैं। उनकी पूजा भी बेहद सरल है। सिर्फ एक जल के लोटे से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन कुछ एेसी भी जरूरी बातें हैं जिनको यदि अनदेखा कर दिया तो महादेव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार शिव पूजा में पुष्प आदि का ध्यान रखने के साथ ही भक्तों को अपने वस्त्रों के रंग का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन पूजा करते समय काले रंग के कपड़े ना पहनें। मान्यता है कि भगवान शिव को काला रंग बिल्कुल भी पसन्द नहीं है। इसी तरह शिव की पूजा में शंख से जल और तुलसी अर्पित करना भी निषेध है। भगवान शिव का नारियल पानी से अभिषेक भी नहीं किया जाता है।
शिव उपासना में शंख का इस्तेमाल न करें।
– शिवलिंग पर तुलसीदल न चढ़ाएं।
– शिवलिंग पर तिल अर्पित न करें।
– शिवलिंग पर टूटा हुआ चावल न छिड़कें।
– कुमकुम या सिंदूर है वर्जित।
– नारियल का इस्तेमाल न करें।भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी केतकी का फूल न चढ़ाएंं क्योंकि महादेव ने इस फूल का अपनी पूजा से त्याग कर दिया था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी कौन बड़ा और कौन छोटा है, इस बात का फैसला कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। इस पर भगवान शिव ने एक शिवलिंग को प्रकट कर उन्हें उसके आदि और अंत पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा जो इस बात का उत्तर दे देगा वही बड़ा है।