आगरा
धवल संगमरमरी ताजमहल की सुंदरता में चारबाग पद्धति पर बना उद्यान चार चांद लगाता है। इसमें बने हुए वाटर चैनल में चलते फव्वारे मनमोह लेते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा इन दिनों वाटर चैनल का संरक्षण किया जा रहा है। यह काम 15 दिन में पूरा होने की उम्मीद है।
ताजमहल का उद्यान चारबाग पद्धति पर बना हुआ है। इसके बीच में वाटर चैनल बने हुए हैं। वीडियो प्लेटफार्म से मुख्य मकबरे तक बने वाटर चैनल में फव्वारे लगे हैं। एएसआइ ने पिछले वर्ष सामने की ओर बने वाटर चैनल के खराब पत्थरों को बदलने के लिए संरक्षण कार्य कराया था। करीब दो माह से म्यूजियम से लेकर सेंट्रल टैंक तक वाटर चैनल के खराब हो चुके पत्थरों को बदलने का काम किया जा रहा है। करीब सात लाख रुपये से संरक्षण कार्य किया जा रहा है।
बाबर ने कराई थी भारत में शुरुआत
चारबाग पद्धति पर भारत में उद्यान बनवाने की शुरुआत बाबर ने कराई थी। उसने काबुल में इस तरह के उद्यान देखे थे। आगरा में बना रामबाग चारबाग पद्धति पर मुगलों द्वारा बनवाए गए शुरुआती बागों में से एक है। इसका निर्माण बाबर ने कराया था।
ब्रिटिश काल में गार्डन में किया गया परिवर्तन
ताजमहल का गार्डन आज जिस तरह का नजर आता है, वैसा मुगल काल में नहीं था। गार्डन में हर जगह ऊंचे-ऊंचे पेड़ हुआ करते थे। ताजमहल उन पेड़ों के पीछे छुपा रहता था। लार्ड कर्जन के समय में ताजमहल के गार्डन को यूरोपीय पद्धति पर विकसित किया गया। सामने की ओर लगे बड़े पेड़ों को काट दिया गया। गार्डन में मिट्टी का भराव किया गया। गार्डन में घास लगाई गई।
जन्नत के कांसेप्ट पर बना हुआ है गार्डन
एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शम्सुद्दीन बताते हैं कि ताजमहल के गार्डन को जन्नत के कांसेप्ट पर विकसित किया गया था। गार्डन, पाथवे के लेवल से काफी नीचा था। गार्डन में पाथवे के किनारे पर फलों के पौधे लगे हुए थे, जिससे लोग आसानी से फल तोड़ सकें। नहरों (वाटर चैनल) में पानी बहता था। हालांकि, अब केवल सामने की ओर के वाटर चैनल में ही पानी रहता है।