इस साल सारे देश में हिंदी के प्रसिद्ध लेखक फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मशताब्दी समारोह मनाया जा रहा है . रेणु आजादी के बाद के हिंदी लेखकों में प्रमुख माने जाते हैं . उनके कथा साहित्य में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के ग्रामीण इलाकों में दिखायी देने वाले नये परिवेश का सुंदर चित्रण है . इस दृष्टि से उनका उपन्यास मैला आँचल महत्वपूर्ण है . रेणु को आँचलिक लेखक कहा जाता है और अपने उपन्यास कथा कहानियों में उन्होंने ग्रामीण संस्कृति की नये पुराने पहलुओं को रेखांकित किया है . रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के पूर्णिया जिले के धमदाहा प्रखंड के औराही हिंगना नामक गाँव में हुआ था . उन्होंने काशी हिन्दू मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी और गाँधी जी के आह्वान पर अपनी पढायी को अधूरा छोड़कर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया . रेणु सच्चे योद्धा थे उन्होंने हर तरह के अत्याचार शोषण के खिलाफ संघर्ष किया . नेपाल में राजतंत्र के खिलाफ संघर्ष में भी वे सक्रिय रहे और 1975 में इंदिरा गाँधी के द्वारा घोषित आपातकाल का भी उन्होंने विरोध किया . भारत सरकार के द्वारा प्रदान की गयी पद्मश्री की उपाधि को भी इस दौरान विरोधस्वरूप वापस कर दिया था . मैला आँचल के अलावा परती परिकथा भी उनका दूसरा प्रसिद्ध उपन्यास है . रेणु की कहानी मारे गये गुलफाम पर शैलेन्द्र ने तीसरी कसम नामक फिल्म बनायी थी . इसमें राजकपूर और वहीदा रहमान ने अभिनय किया था . 11 अप्रैल 1977 को पटना में लंबी बीमारी के बाद फणीश्वरनाथ रेणु का देहांत हो गया . उनका नाम हिंदी साहित्य के इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज रहेगा . ।
राजीव कुमार झा की रिपोर्ट