कवि व पत्रकार सुरेश अवस्थी ने बताया कि उन्होंने खुद के और अन्य गीतकारों के संग्रह निकाले हैं। वह अभी नया संग्रह निकालने की तैयारी कर रहे थे। कवि मनीष मीत ने कहा कि कृष्णकांत के गीत भाग एक से पांच, गीत दर्शक भाग एक व दो, भेंट और बातचीत, कर्णिका बेहद चर्चित हैं। उनकी रचनाएं साहित्यिक रूप से बेहद समृद्ध हैं। उनके निधन पर कवि, साहित्यकारों और गीतकारों ने दुख व्यक्त किया। वरिष्ठ गीतकार और गीत ऋषि के नाम से प्रसिद्ध कृष्णकांत शुक्ला का मंगलवार रात निधन हो गया। वह तीन महीने से बीमार चल रहे थे, उनके निधन से शहर के साहित्य जगत में शोक की लहर है। उनके संग्रह कृष्णकांत के गीत एक, दो, तीन और चार काफी चर्चित हुए। उन्होंने कई गीत संग्रहों का संपादन भी किया था।
कृष्णकांत शुक्ला का जन्म 20 दिसंबर 1948 को हुआ था। उनके पिता विष्णुदत्त शुक्ला बिरहाना रोड से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र ‘सहयोगी’ के संपादक व प्रकाशक थे। कृष्णकांत शुक्ला ने कुछ दिन अखबार में भी काम किया और पिता के संस्मरणों की पुस्तक का संपादन किया। वह 2008 में रिजर्व बैंक से सेवानिवृत्त हुए। परिवार में उनकी पत्नी, पुत्र और दो पुत्रियां हैं।
साहित्यिक सांस्कृतिक पत्रिका ‘समकालीन सांस्कृतिक प्रस्ताव’ से जुड़े लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।