मैच फिक्सिंग करने के लिए सिर्फ खिलाड़ी ही अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। ये खिलाड़ी तो सिर्फ मोहरे हैं। अपराधी ठहराया हुआ कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी नहीं करना चाहिए। ऐसा पाकिस्तान में क्यों होता है। पूर्व पाकिस्तानी कप्तान राशिद लतीफ ने अपने वीडियो चैनल पर यह आरोप लगाया कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड भी खिलाड़ियों के साथ सवालों के घेरे में आता है।
लतीफ ने हाल ही में आईसीसी के एंटी करप्शन के नियमों का उल्लंघन करने के दोषी पाए गए उमर अमकर को सजा ना दिए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने साफ कहा कि अगर उनको दोषी पाया गया था तो 6 महीने से लाइफ टाइम बैन लगाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “आईसीसी या तो फिर बोर्ड को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि खिलाड़ियों के किसी भी बाहरी खास लोगों से दूर रहना चाहिए। ऐसा खास लोग जो किसी फ्रेंचाइजी टीम से जुड़े हुए हों। पाकिस्तान में पीसीबी के साथ काम कर चुके पुराने लोगों को इस स्थिति का बहुत अच्छे से पता था। अगर बोर्ड इसमें शामिल है तो फिर भला खिलाड़ी कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।”उंचे पद पर बैठे क्रिकेट के अधिकारी सभी सिर्फ कठपुतली हैं जो यहां छह आठ लोगों द्वारा यहां लागे गए हैं। इन सभी व्यवारियों के बैंक खाते पीसीबी के पैसों से भरे पड़े हैं। बोर्ड के सभी लोग कुछ खास चुने हुए खिलाड़ियों को बचाने में लगे हैं। इसी वजह से तो उन्होंने फ्रेंचाइजी क्रिकेट को बनाया है जिससे कि वो जो भी चाहें यहां कर सकें जबकि इंटरनेशनल क्रिकेट में वो बेदाग रहें। ऐसे बहुत सारे सवाल हैं और कई विचार।””किसी भी दोषी ठहराए गए को सरकारी काम करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। आप मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ और सलमान बट्ट जैसे खिलाड़ियों को सरकारी विभाम में काम करने कैसे दिया जा रहा है। इससे पहले कुछ लोगों को बाहर किया गया था जो अब तक वापसी नहीं कर पाए।”