भाजपा ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि असम में बड़े पैमाने पर घुसपैठ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की वैधता पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। इस प्रविधान का मूल यह है कि 1966 तक असम में प्रवेश करने वालों को असम का नागरिक माना जाएगा और 1966 से 1971 के बीच के लोगों को आवश्यक नियमों का पालन करना होगा। उसके बाद जो भी लोग आए हैं, निश्चित रूप से उनके साथ अवैध घुसपैठियों जैसा व्यवहार किया जाएगा।
असम में अवैध घुसपैठ के खिलाफ होगी प्रभावी कार्रवाई
भाजपा नेता ने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला असम के लोगों की ज्वलंत शिकायतों का प्रमाण है, जिसे वे बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठ को लेकर महसूस करते हैं। शीर्ष अदालत का फैसला असम में अवैध घुसपैठ के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में मदद करेगा और निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। प्रसाद ने कांग्रेस पर भी हमला किया और कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वालों को भी इसका पालन करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करता हूं : गोगोई
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने गुरुवार को कहा कि वह नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और इस प्रकार राजीव गांधी सरकार के समय किए गए 1985 के असम समझौते का समर्थन करते हैं।
उन्होंने एक्स पर लिखा, असम समझौता एक ऐतिहासिक समझौता था। इसने वर्षों के राजनीतिक आंदोलन के बाद राज्य में शांति स्थापित की। उस अवधि के दौरान प्रधानमंत्री राजीव गांधी राजनीतिक मतभेदों के बावजूद छात्र नेताओं से बातचीत करते थे। आज परिदृश्य अलग है। भाजपा प्रदर्शनकारियों को राष्ट्र विरोधी और खालिस्तानी कहती है। या मणिपुर को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ऐसा दिखावा करते हैं, जैसे राज्य का अस्तित्व ही नहीं है।
संविधान पीठ ने चार-एक के बहुमत से यह फैसला सुनाया
सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले में असम में बांगलादेश से आए प्रवासियों को नागरिकता देने के प्रविधान करने वाली नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को वैध और संवैधानिक ठहराया है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चार-एक के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।
यह धारा 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच भारत में प्रवेश कर चुके और असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत कराने की अनुमति देती है। इसमें अधिकतर लोग बंगलादेश से भारत आकर असम में रहने वाले हैं।