कन्नौज
लोकसभा सीट पर बसपा कार हाथी खूब दौड़ा, लेकिन रफ्तार नहीं मिली। जिला बनाने से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कई दिग्गजों को हाथी का महावत बनाया, लेकिन कोई दूसरे तो कोई तीसरे स्थान पर रहा।
कन्नौज संसदीय सीट पर बसपा का अभी तक खाता नहीं खुला। इस बार फिर बसपा का प्रत्याशी मैदान में है। नतीजा क्या होगा यह चार जून को मतगणना के बाद ही मालूम होगा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने वर्ष 1996 में लोकसभा चुनाव में भगवानदीन कुशवाहा को मैदान में उतारा था। वह तीसरे स्थान पर रहे।
वर्ष 1997 में सियासी फायदा देखकर मायावती ने कन्नौज को जिला घोषित कर एक बार फिर वर्ष 1998 में भगवानदीन कुशवाहा को मौका दिया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
वर्ष 1999 में मुलायम सिंह के खिलाफ बसपा ने सुघर सिंह पाल को खड़ा किया। इस बार भी तीसरे स्थान पर बसपा को संतोष करना पड़ा। वर्ष 2000 में मुलायम सिंह के इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव में अखिलेश यादव पहली बार सपा से चुनाव लड़े। इस बार मायावती ने दिग्गज नेता अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतारा।
दिलचस्प मुकाबला हुआ और बसपा तीसरे पायदान से उठकर दूसरे पर आई। इसके बाद वर्ष 2004 में बसपा के राजेश सिंह, 2009 में बसपा से डॉ. महेश चंद्र वर्मा ने कांटे का चुनाव लड़ा, लेकिन अखिलेश यादव को जीत मिली। बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे।
इसके बाद वर्ष 2012 में हुए उप चुनाव में डिंपल निर्विरोध सांसद बनी। वर्ष 2014 में बसपा का प्रदर्शन कमजोर रहा और तीसरे स्थान पर आ गई। लोकसभा सीट पर वर्ष 1996 से लेकर 2014 तक कुल चार बार बसपा प्रत्याशी तीसरे और तीन बार दूसरे स्थान रहे, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई। शहर में रहने वाले दिग्गज बसपा नेता नौशाद अली और नरेंद्र कुशवाहा की रणनीति यहां कभी काम नहीं आई।