आगरा
गांजा की तस्करी में गाढ़ी कमाई है, यही वजह है कि नशे का अवैध धंधा करने वाले लोग खूब फल-फूल रहे हैं। उड़ीसा से एक किलो गांजा ढाई हजार रुपये में मिलता है और यूपी में आकर उसकी कीमत 14 हजार रुपये प्रति किलो तक हो जाती है। पूर्व में भी एटा जनपद में गांजा तस्कर पकड़े गए हैं जो थोक में सप्लाई करते थे।
5 कुंतल 88 किलो 600 ग्राम गांजा की खेप के साथ पकड़े गए आरोपित अलीगढ़ निवासी उमेशचंद्र और जितेंद्र शर्मा ने कई अहम जानकारियां मारहरा पुलिस को दी हैं। उन्होंने ही कबूला कि वे 2500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गांजा उड़ीसा से लेकर आते थे और यहां 12 हजार से लेकर 14 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते थे अलीगढ़ का टिंकू शर्मा इस गैंग का मुखिया बताया है। पुलिस ने बताया कि आरोपितों ने कबूला है कि वे टिंकू को पहले भी सप्लाई दे चुके हैं। माल उतारे जाने के बाद टिंकू अलीगढ़ के अलावा एटा, मैनपुरी, मथुरा, कासगंज, हाथरस सहित बेस्ट यूपी के अन्य जिलों में सप्लाई करता था
रिटेल में गांजा का धंधा करने वाले लोग टिंकू के पास माल खरीदने के लिए खुद भी जाते हैं, रिटेल वाले आठ-दस किलो गांजा ही खरीदकर ले जाते हैं, जो वहां फुटकर में पुड़िया बनाकर बेचते हैं। इस अवैध धंधे में गाढ़ी कमाई के कारण तमाम युवा फंस चुके हैं और आरोपितों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही तस्करी पर रोक नहीं लग पा रही। सवाल यह है कि उड़ीसा से लेकर एटा तक गांजे की खेपें आखिर कैसे आ रहीं हैं। रास्ते में कई राज्यों के बार्डर पार करने पड़ते हैं, वहां से कैंटर सुरक्षित निकल आते हैं। दरअसल गांजा तस्करों का बड़ा नेटवर्क है।
गांजा के साथ पकड़ गए तस्करी में लिप्त आरोपितों ने बताया कि वे जहां से भी गांजा लेकर आते हैं उसके मुखिया से कभी आमना-सामना नहीं होता। सुरक्षित खेप पहुंचाने के लिए छोटे रूट का इस्तेमाल किया जाता है। यहां पकड़ा गया कैंटर इटावा से होते हुए एटा में आया, अलीगढ़ जाना था, ऐसे में जीटी रोड से होकर ही निकला जा सकता था, मगर मारहरा, पिवारी होते हुए नगरिया मोड़ तक का रूट चुना क्योंकि छोटे मार्गों पर चैकिंग कम रहती है।