आगरा
गर्मी अपने पूरे चरम पर है। पारा 45 पार कर चुका है। लोग परेशान हैं, बीमारियां बढ़ रही हैं। लोगों के साथ-साथ कुत्ते और अन्य जानवर भी परेशान हैं। पशु चिकित्सकों के पास जहां हीट-स्ट्रेस की परेशानी के साथ कुत्तों को लेकर लोग पहुंच रहे हैं तो वहीं जिला अस्पताल में भी कुत्ता काटे की मरीजों में दोगुने का अंतर आ गया है। पशु चिकित्सकों के पास कुत्तों में टिक्स, डीहाइड्रेशन, बुखार, उल्टी-दस्त, पेशाब न आना जैसी समस्याओं के साथ हर रोज दर्जनों लोग पहुंच रहे हैं।
कुत्ता काटने के मामलों में अप्रैल से जून तक बढ़ोतरी होती है।सामान्यत: जहां हर रोज 250 से 300 मरीज कुत्ता काटे का इंजेक्शन लगवाने जिला अस्पताल पहुंचते हैं, इन दिनों यह संख्या 500 हो गई है।जिला अस्पताल में कुत्ता काटे इंजेक्शन लगवाने के लिए अलग से दो काउंटर की व्यवस्था की गई है।कुत्तों के अलावा इतनी गर्मी में बंदर काटे के मरीजों में भी वृद्धि होती है।पालतू कुत्तों से ज्यादा देसी कुत्ते लोगों पर ज्यादा आक्रमण करते हैं क्योंकि इन दिनों में उन्हें खाना और पानी दोनों ही कम मिलते हैं। इससे वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। कुत्ता काटने पर यह करें- कुत्ता काटने के बाद साबुन से नल के नीचे दस से 15 मिनट तक घाव को धोएं। – कुत्ता काटने वाले जख्म पर मिर्च नहीं लगाएं। चिकित्सक को दिखाएं। – एंटीसेप्टिक क्रीम घाव पर लगाएं। – कुत्तों को पानी और भोजन समय से उपलब्ध कराते रहें।- टिटनेस और एआरवी भी लगवाएं।
इन प्रजातियों को लगती है ज्यादा गर्मी
जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर, पग, चाउ-चाउ,सेंट बर्नार्ड, स्पिट्ज, बुल मेस्टिफ, डाबरमैन, रोटवीलर, बाक्सर
कुत्तों को भी होता है डी-हाइड्रेशन
गर्मियों में सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि कुत्तों को भी डी-हाइड्रेशन होता है।बिल्लियों, बंदरों और गाय आदि जानवरों को भी लू लगती है। जिससे उन्हें बुखार, पेट दर्द, उल्टी-दस्त आदि दिक्कतें होती हैं। इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी टिक्स की होती है। इससे टिक फीवर भी हो जाता है, जो जानलेवा साबित होता है।