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मकर संक्रांति कहीं आज तो कहीं कल, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस वर्ष पंचांग भेद की वजह से मकर संक्रांति का त्योहार दो दिन यानी 14 और 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। दरअसल स्थान के आधार पर पंचांग की गणना और पुण्यकाल की वजह से इस बार पंचांग की तिथि को लेकर मतभेद है। मकर संक्रांति का त्योहार पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाई जाती है। देश में मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों के साथ मनाया जाता है। मकर संक्राति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, असम में इस दिन को बिहू और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं और इसी दिन से सर्दियां कम होने लगती है और दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर जाते हैं। इस बार मकर संक्रांति का त्योहार दो दिन मनाया जा रहा है। दरअसल स्थान आधारित पंचांग और पुण्यकाल की वजह से ऐसा संयोग बना है। ऐसे में 14 और 15 जनवरी दोनों दिनों के लिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा आइए जानते हैं।

मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त- 14 जनवरी
14 जनवरी को सूर्यदेव का राशि परिवर्तन यानी सूर्य का मकर राशि में गोचर दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर होगा। इस वजह से 14 जनवरी को गंगा स्नान और सूर्य देव की पूजा का समय सुबह 08 बजकर 43 मिनट से प्रारंभ कर सकते है।
मकर संक्रांति का पुण्य काल: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 45 मिनट तक

मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त- 15 जनवरी
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: 14 जनवरी की रात 08 बजकर 49 मिनट पर
मकर संक्रांति का पुण्य काल: 15 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

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मकर संक्रांति पर जपे सूर्य मंत्र
मकर संक्रांति पर सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। इस दिन सभी तरह के शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो जाते हैं। ऐसे में इस दिन गंगा स्नान, दान और सूर्य उपासना जरूर करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्यदेव को ॐ सूर्याय नम:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः, ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: का जाप करते हुए अर्घ्य दें।

मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर अपने पास स्थित किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें और शनि से जुड़े हुए मंत्रों का जाप करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।

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