शब्दों को खेल भी बडे कमाल का है।
कोई इनको बोलकर राज करता है,
और कोई सच बोलकर नाम भी खो जाता है।
कभी मन में मिठास भर देता है,
तो कभी कडवाहट घोल जाता है।
शब्दों का खेल भी बडे कमाल का है।
कोई इनको बोलकर चाटुकार हितकारी था शुभचिंतक का चोलो पहन लेता है।
और कोई सच भी नहीं कह पाता है।
शब्दों का खेल भी बड़े कमाल का है।