मोक्ष का अर्थ केवल मृत्यु के बाद की अवस्था नहीं है, जैसा कि अधिकांश लोग और धार्मिक ज्ञाता मानते हैं। उनका यह मानना है कि मोक्ष की प्राप्ति केवल जीवन और मरण के बाद होती है, जो मनुष्य के पाप और पुण्य के आधार पर तय होती है। हालांकि यह परिभाषा पूरी तरह से सही नहीं मानी जा सकती, क्योंकि मोक्ष का वास्तविक अर्थ उससे कहीं अधिक गहरा और व्यापक है।
मोक्ष का असली अर्थ है उस स्थिति में पहुँचना, जहाँ व्यक्ति का संसार से मोह और संलिप्तता पूरी तरह से समाप्त हो चुका हो। जब एक व्यक्ति अपनी सांसारिक जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभा चुका होता है और उसकी इच्छाएँ पूरी हो चुकी होती हैं, तो वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। इसका मतलब यह है कि अब उसके मन में किसी भी प्रकार की सांसारिक वस्तुओं या संबंधों के प्रति कोई आकर्षण या तृष्णा नहीं होती।
चाहे वह भौतिक वस्तुएँ जैसे घर, गाड़ी, ज़मीन, सम्पत्ति, या पारिवारिक रिश्ते जैसे पत्नी, बच्चे, माता-पिता या कोई अन्य व्यक्ति हो, अगर व्यक्ति का इन सब चीजों के प्रति लगाव समाप्त हो चुका है और उसकी आत्मा इनसे मुक्त हो गई है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
जब किसी व्यक्ति ने संसार की वास्तविकता को समझ लिया है और उसने परमात्मा या ब्रह्म के साथ एकाकार होकर, अपने भीतर आत्मा की पहचान कर ली है, तो वह मोक्ष को प्राप्त कर चुका होता है। मोक्ष की प्राप्ति का यह अर्थ है कि वह व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो चुका है और अब उसे किसी भी प्रकार की भौतिक या मानसिक इच्छा नहीं रह जाती।
संक्षेप में, मोक्ष एक मानसिक, आत्मिक और आध्यात्मिक स्थिति है, जहाँ व्यक्ति पूरी तरह से अपने आत्मा से जुड़कर, संसार की सभी बाधाओं से मुक्त हो जाता है और परम सत्य की प्राप्ति करता है।