आगरा
सोरों की हरिपदी गंगा में मर रहीं मछलियों को लेकर अब कई विभागों ने संजीदगी दिखाई है। विभाग आपसी सामंजस्य बनाकर हरिपदी गंगा के पानी को प्रदूषण मुक्त करेंगे और यहां जलीय जीवों को नया जीवन देने की कोशिश करेंगे। राजस्व, मत्स्य, वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जल निगम संयुक्त रूप से इस दिशा में काम करेंगे, हालांकि अभी पूरी कार्ययोजना स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन जिम्मेदारों ने स्वयं अपने-अपने स्तर से पहल करने का भरोसा दिया है।
पानी में आक्सीजन लेवल का संतुलन गड़बड़ा जाने से हरिपदी गंगा में मछलियों की लगातार मौत हो रही है। जिला प्रशासन बेहद गंभीर है। इधर जलीय जीवों के संरक्षण की जिम्मेदारी कई विभागों पर है। ऐसे में विभाग भी संजीदा हो गए हैं। जल निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की जांच कर स्थिति स्पष्ट करेंगे और उपाय सुझाएंगे। राजस्व विभाग इसकी मानिटरिंग करेगा। जबकि वन विभाग भी जलीय जीवो को नया जीवन देने के लिए कार्ययोजना तैयार करेगा। मत्स्य पालन विभाग को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है कि मछलियों की मौत का कारण जानें और ऐसे प्रयास करें जिससे कि मछलियों की मौत न हो। इस तरह सरकारी जिम्मेदारी निभा रहे इन विभागों के अफसर संयुक्त रूप से पहल करेंगे। देखना होगा की पहल कितनी सार्थक होगी। अभी तो सिर्फ प्रयास शुरू किए गए हैं।
हरिपदी गंगा में मछलियों की मौत पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने भी गंभीरता दिखाई है। परियोजना अधिकारी हिमांशु कुमार ने बताया कि मछलियों की मौत का कारण आक्सीजन का असंतुलन हो सकता है। वैसे तो जांच पानी की कराई जाती है, लेकिन हरिपदी गंगा में एक बार फिर से यह जानने की कोशिश की जाएगी कि मछलियों की मौत का क्या कारण है और मछलियों की मौत कैसे रोकी जा सकती है। इस पानी में जलीय जीवो को किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है।
वन विभाग, मत्स्य पालन विभाग के अलावा राजस्व विभाग भी मछलियों की मौत का कारण जानने की कोशिश में है। जल निगम की टीम भी सहयोग में है। पालिका से भी सहयोग अपेक्षित है। संयुक्त रूप से हरिपदी गंगा में जलीय जीवों को नया जीवन देने का प्रयास है।