विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस आज 24 मई को है। बड़ी-बड़ी बातें करना, न होते हुए भी खुद को अमीर समझना, अपनों से ही जान का खतरा समझ अजीब व्यवहार करने लगना ये इस बीमारी के विशेष लक्षण हैं। कुल मानसिक रोगियों में सात फीसदी में ये परेशानी मिल रही है।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि हर साल 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान की ओपीडी में रोजाना 230 मरीज आ रहे हैं। इसमें सिजोफ्रेनिया के करीब सात फीसदी मरीज हैं। इनकी उम्र 20 साल से अधिक की है।
इस बीमारी में मरीज वास्तविक दुनिया से अलग काल्पनिक जीवन जीने लगता है। भ्रम में रहते हैं। खुद को ताकतवर, अमीर तो कभी बड़ी-बड़ी बातें करने लगते हैं। हालत गंभीर होने पर ये अपनों से खुद को जान का खतरा महसूस करने लगते हैं। ऐसी स्थिति पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना जरूरी है।
वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. यूसी गर्ग का कहना है कि शुरुआत में सिजोफ्रेनिया के मरीजों के लिए ही मानसिक रोग के अस्पताल खोले गए थे। ऐसे ही मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जाता था। इसके बाद अन्य मानसिक बीमारियां भी लोगों में पनपने लगी, जिससे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। सिजोफ्रेनिया बीमारी के जेनेटिक और अज्ञात कारण हैं। व्यक्ति में लक्षण दिखने पर उसका मानसिक रोग विशेषज्ञ से उपचार करवाना चाहिए।