आगरा,
चंबल नदी में एक बार फिर से घड़ियालों का कुनबा बढ़ने वाला है। मई अंत में हैचिंग शुरू होने वाली है। वन विभाग ने तैयारी कर ली है। इस साल लगभग 140 जगह नेस्ट बने हैं। घड़ियालों की 12 फरवरी से 15 मार्च के बीच नेस्टिंग होती है। 60 दिन में हैचिंग होती है, इस हिसाब से मई अंत से 10 जून तक हैचिंग चलेगी। वन विभाग की हर नेस्ट पर नजर है। जैसे ही मादा घड़ियालों के फिसलने की निशान बालू पर बनने शुरू हो जाएंगे, विभाग सतर्क हो जाएगा क्योंकि इसी से पता चलता है कि हैचिंग शुरू होने वाली है।
डीएफओ चंबल दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि सामान्यत: एक नेस्ट में 30 से 60 अंडे होते हैं, जिनमें से 30 से 35 बच्चे ही निकलते हैं। घड़ियाल शिशुओं में से करीब दो से तीन प्रतिशत तक ही जीवित रह पाते हैं। घड़ियाल शिशुओं को बड़ी मछली, बगुले जैसे पक्षी तो खा ही लेते हैं।
मादा घड़ियाल अंडों को बालू में एक मीटर नीचे दबाती है। डीएफओ ने बताया कि अंडे कई लेयर में 27 से 36 डिग्री सेल्सियस के तापमान में होते हैं। जिन अंडों का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है, वे नर होते हैं और उससे कम वाले मादा होते हैं। हर साल मादा शिशुओं की संख्या ज्यादा होती है।
मादा कई बार अपने नेस्ट को भूल भी जाती हैं, इस स्थिति में वन विभाग के कर्मचारी कान लगाकर बालू के नीचे सुनते हैं। अगर सरसराहट या चिड़ियों के चहचहाने सी आवाज आए तो इसका मतलब होता है कि बच्चे अंडे से बाहर आ चुके हैं। कर्मचारी बालू खोदकर बच्चों को चंबल में छोड़ते हैं।