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आगरा: नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती मजदूर की मौत पर पथराव व तोड़फोड़, परिजनों ने लगाया यातनाएं देने का आरोप

कालिंदी विहार स्थित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती मजदूर मुकेश कुमार की मौत के दूसरे दिन शुक्रवार को भी हंगामा हुआ। परिजनों ने यातनाएं देकर मार डालने का आरोप लगाया। सुबह केंद्र के बाहर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। कर्मचारियों के दरवाजे नहीं खोलने पर पथराव कर दिया। शीशे और सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए। केंद्र में भर्ती मरीजों में अफरातफरी मच गई। पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत किया। मामले में तीन के खिलाफ तहरीर दी गई है।

मुकेश कुमार सादाबाद के कश्यप नगर निवासी थे। उनकी बृहस्पतिवार को मौत हुई थी। वह नशा मुक्ति केंद्र में एक दिन पहले लाए गए थे। भांजे सूरज का आरोप है कि मामा को केंद्र में यातनाएं दी गईं। चोट के निशान थे। पूरा शरीर नीला पड़ा था। पैरों में सूजन थी। उन्हें डंडे से पीटा गया। करंट भी लगाया गया। कर्मचारी हॉस्पिटल में शव रखकर भाग गए। परिजनों ने तहरीर दी मगर, पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था।

शुक्रवार सुबह बड़ी संख्या में परिजन नशा मुक्ति केंद्र पहुंच गए। केंद्र पर लगा बोर्ड हटा देख भड़क उठे। कुंडी खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन कर्मचारी तैयार नहीं हुए। इस पर लोगों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी, पथराव भी किया। केंद्र में मौजूद मरीज और कर्मचारी घबरा गए। सूचना पर फोर्स पहुंची। पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस पर सुबह 11 बजे लोग केंद्र के बाहर से हटे। परिजनों ने थाने में एक नामजद और दो अज्ञात पर आरोप लगाते हुए हत्या की तहरीर दी है। 

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परिजनों ने बताया कि मुकेश की नशे की लत छुड़ाने के लिए उन्होंने गूगल पर खोज की थी। तभी कालिंदी विहार स्थित संघर्ष नशा मुक्ति केंद्र का नंबर मिला। दो महीने में नशे की लत छुड़ाने का दावा किया गया। इस पर वो मुकेश को भेजने के लिए तैयार हो गए। बुधवार को केंद्र के रजत और दो कर्मचारी कार लेकर घर पहुंचे। मुकेश को अपने साथ ले आए। इसके लिए रुपये भी लिए। बृहस्पतिवार सुबह तकरीबन नौ बजे कर्मचारी ने मुकेश की एक वीडियो उनके भांजे को भेजी। इसमें सभी लोग योग करते नजर आ रहे थे। इसके बाद कोई बात नहीं हुई। शाम तकरीबन 4:35 बजे केंद्र के कर्मचारियों ने फोन किया। बताया कि मुकेश हॉस्पिटल में भर्ती हैं, जल्दी आ जाओ। वह हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन मुकेश मृत थे।

नशा मुक्ति केंद्र के कर्मचारी हंगामे के बाद छत से होकर भाग गए थे। इसमें मरीज ही बचे थे। लोगों के हंगामे की वजह से अंदर से गेट बंद कर दिया गया था। इससे मरीज परेशान हुए। उन्हें दोपहर तक खाना नहीं मिल सका। पता चलने पर पुलिस ने सभी मरीजों के लिए खाना भिजवाया।
परिजनों का कहना था कि संचालक ने रात में ही केंद्र का बोर्ड हटा दिया, जिससे पहचान नहीं हो सके। वहीं कर्मचारी भी सामने नहीं आ रहे हैं।सीओ छत्ता सुकन्या शर्मा ने बताया कि परिजनों की मांग थी कि पोस्टमार्टम डॉक्टर के पैनल से हो। पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया। वीडियोग्राफी भी हुई है। रिपोर्ट का इंतजार है। परिजनों की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। नश मुक्ति केंद्र कब से चल रहा है? कितने मरीज भर्ती हैं? इसकी जांच की जाएगी। पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज संचालक से मांगे गए हैं।

मुकेश इंजन कारीगर थे। उनकी पत्नी मीना हैं। चार बच्चे सोनिया, खुशी, शगुन और अभिषेक हैं। पिता का साया उठ जाने से सभी बेहाल हैं।

 

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