Advertisement
HomeUttar PradeshAgraएक्सक्लूसिव: मंदिर छोड़कर वर्ष 1956 में राजा की मंडी स्टेशन के लिए...

एक्सक्लूसिव: मंदिर छोड़कर वर्ष 1956 में राजा की मंडी स्टेशन के लिए 2.71 एकड़ जमीन का हुआ था अधिग्रहण

आगरा
आगरा में वर्ष 1956 में नए राजा की मंडी स्टेशन के निर्माण के लिए जिला प्रशासन ने 2.71 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन, इसमें मंदिर की जमीन को छोड़ दिया गया था। हालांकि इससे पहले तत्कालीन राजस्व व कृषि मंत्री ने लोगों को दूसरी जगह भव्य मंदिर का प्रस्ताव दिया, जिसे लोगों ने एकमत से ठुकराया। बता दें कि तत्कालीन राजस्व एवं कृषि मंत्री ने 18 अप्रैल 1954 को जिला मजिस्ट्रेट और सिटी मजिस्ट्रेट के साथ राजा की मंडी के नए स्टेशन में जमीन अधिग्रहण को लेकर लोगों से वार्ता की थी। देवी मंदिर को रेलवे लाइन के पास से शिफ्ट करने के लिए तत्कालीन मंत्री ने लोगों को बाहर बड़ी जगह देने के साथ भव्य इमारत में शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे लोगों ने एकराय से ठुकरा दिया। इसके बाद 31 जुलाई 1954 को एडीएम ने जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी कि रेलवे ने उनकी बात मान ली है कि मंदिर को नहीं छुआ जाएगा और मंदिर को छोड़कर चार फीट रास्ते के साथ बाकी 2.71 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करके रेलवे को जल्द दे दी जाए।
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन के लिए जिला प्रशासन के भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने दो जगह की जमीन अधिगृहीत की। इसमें चक 1 की 2.30 एकड़ और 0.41 एकड़ सरजेपुर की थी। जिला प्रशासन के राजस्व और अधिग्रहण रिकार्ड के मुताबिक इनमें आबादी, कृषि और खाली जमीन का अधिग्रहण किया गया था। उस समय राजस्व और कृषि मंत्री भी लोगों की आस्था को देखने के बाद मंदिर शिफ्ट करने के प्रस्ताव को खारिज कर गए थे। हालांकि रेलवे ने तब आम सहमति से मंदिर को शिफ्ट करने का प्रयास राजा की मंडी स्टेशन बनने के बाद जारी रखने का अनुरोध प्रदेश सरकार के असिस्टेंट सेक्रेटरी से किया था।
नए राजा की मंडी स्टेशन के लिए जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया, उसमें अधिग्रहण वाले हर प्लॉट, मकान, मजार, भवन का ब्योरा है, लेकिन उसमें मंदिर को शामिल नहीं किया गया। अधिग्रहण वाले सभी जमीन मालिकों को मुआवजा दिया गया, जबकि देवी मंदिर की जमीन पर विनिमय किया गया।
शनिवार सुबह के अंक में राजा की मंडी स्टेशन के अधिग्रहण और मूल नक्शे के साथ समझौता वार्ता का पत्र प्रकाशित होने के बाद यह मंदिर प्रबंधन एवं श्रद्धालुओं में चर्चा का विषय बना रहा। इन अभिलेखों को रेलवे ने सार्वजनिक नहीं किया था।

सिविल सोसायटी के राजीव सक्सेना ने कहा कि अंग्रेजों ने हमारी आस्था को देखते हुए रेलवे लाइन को घुमा लिया, लेकिन अब अपनी सरकार में आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है। रेलवे को धार्मिक आस्था का ख्याल रखना होगा। 69 साल पहले वह लिखित समझौता कर चुके हैं।

1952 से शुरू हुई जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में गोकुलपुरा की तरफ की जमीन के लिए तीन रुपये प्रति वर्ग गज और किदवई पार्क की ओर की जमीन के लिए चार रुपये प्रति वर्ग का मुआवजा दिया गया। आगरा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के प्रशासक आईसीएस अधिकारी एमए कुरैशी से बांबे विक्टोरिया टर्मिनस स्थित चीफ इंजीनियर सेंट्रल रेलवे ने आठ रुपये प्रति वर्ग गज के भाव से रेलवे स्टेशन के पास की 100 वर्ग फीट की पट्टी मांगी थी, जिसके लिए आगरा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने इंकार कर दिया था।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments