Advertisement
HomeUttar PradeshAgraNavratri 2025: यूपी में चमत्‍कारिक मंदिर, आग से आर-पार होने पर नहीं...

Navratri 2025: यूपी में चमत्‍कारिक मंदिर, आग से आर-पार होने पर नहीं जलता कपड़ा; लाठियां पीटकर होती है पूजा

आगरा के ध्यानू (धांधू) भगत नगरकोट कांगड़ा हिमाचल प्रदेश वाली देवी मां के अनन्य भक्त थे। करीब 750 वर्ष पहले उन्होंने पूजा- अर्चना कर देवी मां को अपने साथ चलने को कहा। देवी मां ने शर्त रखी, वह जहां पीछे मुड़कर देखेगा वहां से आगे नहीं जाएंगी।

ब्रज में ध्यानू ने पीछे मुड़कर देखा, देवी मां वहीं अदृश्य हो गईं। यह जगह नरी सेमरी थी। गांव के अजीता सिंह बाबा के स्वप्न सुन ग्रामीणों ने जमीन खोद कर देवी मां की प्रतिमा को निकालकर मंदिर की स्थापना कराई थी। मान्यता है यहां सम्राट अकबर ने भी पूजा- अर्चना की थी।

मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में तीज के दिन आगरा से ध्यानू भगत के वंशज देवी मां की आरती करते हैं, नगरकोट में तीज के दिन संध्या आरती नहीं होती है। आरती के दीपक के ऊपर एक कपड़ा लगाया जाता है। दीपक की लोह कपड़े को पार कर जाती है, मगर कपड़ा नहीं जलता है।

आरती के दिन देवी मां के दर्शन करने से लोगों के जीवन में प्रकाश आता है। चैत्र नवरात्र में रामनवमी के दिन लठ पूजा होती है। उस दिन देवी मां की प्रतिमा एकदम सीधी दिखाई देती है, बाकी दिनों में झुकी रहती है। श्रद्धालु यहां घंटा चढ़ाकर मनौतियां मांगते हैं।

 

 

उत्तर दिशा में देवी का मुंह

 

मथुरा : मंदिर करीब 28 एकड़ बना में है। देवी मां का मुंह उत्तर की दिशा में है। इसी दिशा में कई एकड़ में कुंड बना हुआ है, मंदिर के चारों ओर रेलिंग लगी है, प्रवेश द्वार मंदिर से दक्षिण में और निकास द्वार पूर्व की ओर है।

जीवन में आता है प्रकाश

मथुरा : नरी सेमरी मैया श्रद्धालुओं कमी आस्था का केंद्र है। मैया के दर्शन करने से जीवन में प्रकाश आता है। प्रतदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। चैत्र नवरात्र में मैया आस्था का केंद्र रहती है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। मेला लगता है। मैया के दर्शन कर भक्त धन्य हो जाते हैं।

कैसे पहुंचे?

  • दिल्ली से नरी सेमरी करीब 115 और आगरा से 85 किलोमीटर दूरी पर है।
  • चैत्र नवरात्र में दिल्ली और आगरा से सीधे ट्रेन से पहुंचने की सुविधा मिलती है।
  • बस से सीधा पहुंचा जा सकता है।

ये है मान्यता

चैत्र नवरात्र की तीज के दिन होने वाली आरती के दर्शन करने को श्रद्धालुओं की लाइन लग जाती है।श्रद्धालु मैया से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है, मैया श्रद्धालुओं को निराश नहीं करती है। सभी की मनोकामनाएं पूरी करती है। यही कारण है, श्रद्धालुओं का मैया में विश्वास बढ़ता जा रहा है।

लाठियां पीट-पीटकर की जाती है पूजा

मथुरा : रामनवमीं को नरी, सांखी, रहेड़ा व अलवाई गांवों के सैकड़ों लोग घोड़ों पर सवार होकर देवी मां के मठ पर लाठियां पीट- पीटकर देवी मां की

पूजा अर्चना करके सैकड़ों साल पुरानी परंपरा की रस्म अदा करते हैं। सिसौदिया व जादौं घार के बीच सीमा विवाद को लेकर काफी संघर्ष हुआ।

XMT NEWS

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Verified by MonsterInsights