आगरा

दुनिया में जितने वतन, उतनी ही जुबां बोली जाती हैं। मगर, प्यार की एक ही जुबां होती है, जिसे तीन साल की मासूम और सात समंदर पार से उसे लेने आई एक मां से बेहतर शायद ही कोई समझ सकता था। मां ने तीन साल की मासूम बेटी को सामने देखा तो बरबस ही आंखों में आंसू आ गए। दौड़कर उसे गोद में ले लिया, तीन घंटे उसे सीने से लगा आंचल में छिपाए रही। उस पर अपना सारा प्यार एक बार में लुटा देना चाहती थी। मासूम भी उसके सीने में धड़कते प्यार भरे दिल के अहसास को महसूस कर रही थी। उससे लिपटी रही, इस डर से कि कहीं जुदा न हो जाए।

तीन साल पहले राजकीय शिशु गृह में फिरोजाबाद से तीन दिन की अबोध बच्ची आई थी। जिसे जन्म देने वाली मां हालात के चलते छोड़कर चली गई थी। मासूम की मैचिंग करीब एक साल पहले न्यूजीलैंड के दंपती के साथ हुई। उसे गोद लेने वाली मां एक साल से वीडियो काल के माध्यम से लगातार संपर्क में थी। मां और मासूम के बीच में प्यार का एक अटूट रिश्ता कायम हो गया था। मासूम उसे मदर कहकर बुलाती तो विदेश में बैठी दत्तक मां की आंखों से आंसू छलक उठते थे।

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