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आगरा की ऐसी विधानसभा सीट, जहां से सात बार से चुनाव नहीं लड़ी कोई महिला उम्‍मीदवार

आगरा

जिले की नौ विधानसभा सीटों में से उत्तर विधानसभा सीट भाजपा के प्रभाव वाली मानी जाती है। ये मानना गलत भी नहीं है। क्योंकि वर्ष 1985 के चुनाव से इस सीट पर लगातार भाजपा का ही कब्जा रहा है। यहां के मतदाताओं ने दूसरे दलों के प्रत्याशियों को मौका ही नहीं दिया। लगातार नौ बार से भाजपा प्रत्याशी ही यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा ने भी प्रत्याशियों को लेकर इस सीट पर ज्यादा उलटफेर नहीं की है। जो प्रत्याशी लगातार चुनाव जीता, पार्टी ने उसी पर दांव लगाया।

यह सीट वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव में अस्तित्व में आई। उत्तर सीट वर्ष 2012 से पहले आगरा पूर्व के नाम से थी। इस सीट पर पहली बार हुए चुनाव में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी को विजयी मिली। इसके बाद लगातार चार बार इस पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। मगर, भाजपा के सत्यप्रकाश विकल ने वर्ष 1985 के चुनाव में कांग्रेस के इस विजय रथ को रोक दिया। वह लगातार पांच बार यहां से विधायक चुने गए। वर्ष 1998 में उनके निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा के जगन प्रसाद गर्ग की एंट्री हुई। वह भी विजयी हुए। जगन प्रसाद गर्ग लगातार पांच बार विधायक चुने गए। वर्ष 2019 में जगन प्रसाद गर्ग का निधन होने के बाद पुरुषोत्तम खंडेलवाल को उपचुनाव में मौका मिला और वह भी चुनाव जीते। भाजपा ने इस बीच जीतते आए प्रत्याशी का टिकट नहीं काटा। इस सीट पर बसपा, सपा सहित अन्य कई प्रमुख दलों के प्रत्याशी अब तक जीत का स्वाद नहीं चख सके हैं।

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