आगरा
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में पिछले कुछ समय शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के संचालन को लेकर चल रही समस्या पर उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार इन पाठ्यक्रमों का संचालन सुनिश्चित करे। इनके लिए आवश्यक बजट आदि की व्यवस्था कर न्यायालय को सूचित करे।
संस्थान में शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के संचालन को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। एक वर्ष पूर्व इस शैक्षणिक संस्थान के निदेशक का कार्य भार गैर- शैक्षणिक संवर्ग के अधिकारी को प्रदान किया गया, जिससे संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता पर संकट के बादल छा गए। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद प्रो. डा. ज्ञानेंद्र कुमार को नियुक्त किया गया। इसके बाद भी समस्या खत्म नहीं हुई।
मानकों के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति न होने के कारण शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है। बता दें कि संस्थान में एमडी, पीएचडी, एमफिल एवं नर्सिंग के पाठ्यक्रम संचालित हैं। कुछ विभागों में एक भी शिक्षक न होने के कारण कोर्स पूरा होने के उपरांत भी परीक्षा भी नहीं हो पा रही है। इससे छात्र काफी परेशान हैं। छात्रों और संस्थान की समस्या का संज्ञान लेते हुए संस्थान के पूर्व शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली। उच्च न्यायालय ने डा. स्वनलता सिंह एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाद में राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि देश में इस मानसिक स्वास्थ्य में प्रशिक्षित चिकित्सकों और थैरपिस्ट की भारी कमी है। ऐसे शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए राज्य सरकार कल्याण कारी नीति के अंतर्गत प्रतिबद्ध है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को ही इन पाठ्यक्रमों का संचालन करना होगा।