सोशल मीडिया के लिए सरकार की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइन को लेकर बवाल मचा हुआ है। डेडलाइन खत्म होने के बाद भी सोशल मीडिया कंपनियों ने सरकार के नए कानून को लागू नहीं किया जिसके बाद से इन पर भारत में बैन होने की खबरें वायरल होने लगीं, हालांकि फेसबुक और गूगल ने साफतौर पर कह दिया है कि वे सरकार के मुताबिक ही काम करेंगे, उन्हें नए नियमों से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ट्विटर और व्हाट्सएप को परेशानी है। ट्विटर और व्हाट्सएप नए नियमों को लागू करने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं। व्हाट्सएप ने सरकार के नए आईटी नियमों पर कहा है कि यह असंवैधानिक है और लोगों की निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि सरकार आखिर व्हाट्सएप से चाहती क्या है और व्हाट्सएप की परेशानी क्या है?
सरकार अपने नए नियमों के तहत सबसे पहले भेजे गए किसी मैसेज के बारे में पूरी जानकारी चाहती है। सीधे शब्दों में कहें तो किस मैसेज को सबसे पहले किसने भेजा, उसके बाद उस मैसेज को किस-किसने फॉरवर्ड किया और किसे किया, इन सभी जानकारियों को सरकार व्हाट्सएप से लेना चाहती है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए कि अ नाम के एक व्यक्ति ने सबसे पहले एक आपत्तिजनक मैसेज लिखा और कई लोगों को भेज दिया। इस मैसेज के कारण कहीं कुछ दंगा या बवाल हो गया तो अब सरकार यह चाहती है कि व्हाट्सएप उसे सबसे पहले मैसेज वाले शख्स यानी अ की पूरी जानकारी व्हाट्सएप उसे दे।
मसलन अ का पूरा नाम क्या है, उसकी ई-मेल आईडी क्या है और उसकी लोकेशन आदि। सरकार ने यह भी कहा है कि सरकार अपने हर नागरिक के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार सबसे पहले मैसेज शेयर करने वाले यूजर की जानकारी व्हाट्सएप से तभी मांगी जाएगी जब अदालत इसके लिए आर्डर पास करता या फिर केंद्र सरकार IT एक्ट की धारा 69 के तहत भारत के संप्रभुता-अखंडता, रक्षा ,राज्यों की सुरक्षा या पब्लिक ऑर्डर मेंटेन करने के लिए ऐसा कहे।