13 वें ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल: फिल्मों के माध्यम से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा।
तीन दिवसीय 13 वें ग्लोबल फ़िल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन के दूसरे सत्र में फिल्मों के माध्यम से पर्यटन को कैसे बढ़ावा मिलेगा, इस विषय पर चर्चा हुई।
मारवाह स्टूडियो के संस्थापक ICMEI के प्रेसिडेंट डॉ. संदीप मारवाह ने “13 वें ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल नोएडा 2020” में फिल्म जगत के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया का हर देश चाहता है कि उसका देश पर्यटन का केंद्र बने और फिल्म इंडस्ट्री के लोग यहाँ आए और हर रोज शूटिंग करें, क्योंकि फ़िल्में किसी भी देश की ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक खूबसूरती, वहां की संस्कृति को दिखाने का सबसे अच्छा माध्यम है, जिससे दर्शक दूसरे देश को देखने के लिए आकर्षित होता है और टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि आज हम बहुत दूर होकर भी एक साथ बैठे है यह भी ऐसी तकनीक है जिससे लोग एक दूसरे के साथ जुड़े हुए है आज कोई भी इंसान स्वयं को अकेला महसूस नहीं कर सकता और यह कहना गलत नहीं होगा की हम सबके हाथ में मोबाइल ऐसी तकनीक है जिससे हम जब चाहे शॉर्ट फ़िल्में बनाकर विश्व पटल पर आसानी से भेज सकते हैं।
फिल्म निर्माता को यह ध्यान रखना होगा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सिनेमा शक्तिशाली तरीका है। हमने तीस साल पहले “फिल्म टूरिज्म” का एक नया शब्द दिया था, तब से हमने अपनी जिम्मेदारी को निभाया है, लोग इस शब्द से अवगत नहीं थे, परन्तु अब हर देश फिल्म पर्यटन के बारे में बात कर रहा है। मारवाह स्टूडियो और नोएडा फिल्म सिटी में इसकी फिल्मी एक्टिविटी ने दो मिलियन से अधिक लोगों को इस गंतव्य के लिए आकर्षित किया है और इस तरह नोएडा में पर्यटन को बहुत अधिक बढ़ावा मिला हैI
स्लोवेनिया के एम्बेसडर डॉ. मारजेन सेनसेन ने कहा कि “भारत और स्लोवेनिया के सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते बहुत मजबूत हैंI और पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा देश प्राकृतिक सुन्दरता और रोमांचक स्थानों के साथ एक सुंदर राष्ट्र है। हमारी सरकार फिल्म निर्माताओं को बड़ी सब्सिडी भी प्रदान करती है।
TAAI स्किल एंड एजुकेशन के चेयरमैन राजन सहगल ने कहा, फिल्मों में दूरदराज के क्षेत्रों से भी पर्यटकों को आकर्षित करने की शक्ति है। भारत की फिल्म इंडस्ट्री बहुत बड़ी है और न केवल फिल्मों की शूटिंग के लिए बल्कि टीबी सीरियल, म्यूजिक वीडियो आदि के शूटिंग के लिए अलग-अलग स्थानों की जरूरत पड़ती है, और इससे भारत और दुनिया के बाकी हिस्सों के देश एक-दूसरे के करीब आते है।
प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक राजू परसेकर ने कहा कि “पर्यटन की नीति तैयार करते समय फिल्म क्षेत्र की प्राथमिकता होनी चाहिए। लोगों को नई जगहों पर आकर्षित करने के नए तरीकों को लोकप्रिय बनाना होगा। ऐसे बहुत सारे स्थान हैं जहाँ पर फिल्म की शूटिंग के बाद पर्यटन शहरों में बदल गए हैं।
प्रसिद्ध स्क्रीन प्ले लेखक कमलेश पांडे ने कहा कि भारतीय सिनेमा ने भारत को भारतीयों से मिलाने का सराहनीय काम किया है। गंतव्य स्थलों को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए सरकारी या अन्य निजी प्रयासों की तुलना में फ़िल्में अधिक प्रभावशाली है।
हॉलैंड के जाने माने लेखक और फिल्म निर्माता फरहाद फ्राउटनियन ने कहा कि सभी फिल्म स्थानों को पर्यटन हेतु आकर्षित करने के लिए पर्यटकों को सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। तभी पर्यटन को पर्याप्त बढ़ावा मिल सकता हैI
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एवं फिल्म निर्माता अनूप बोस, फिल्म अभिनेता सांची राय, अभिनेता और फिल्म निर्माता नीलेश मल्होत्रा ने भी इस अवसर पर अपनी बात रखीI इस कार्यक्रम में पं. जवाहरलाल नेहरू फोरम का प्रतिनिधित्व करने वाला एक पोस्टर भी जारी किया गया था।