लोगों की हैवानियत अब उनका गुरुर बनने लगी है
हर जुर्म की सज़ा कल पर टलने लगी है
किस पर करें एतबार इन्साफ की खातिर ,
अब तो सरकारों में भी साजिश चलने लगी है
कुछ छुपकर वार करते है कुछ आगे हाथ उठाते है
आज इस कदर दरिंदगी करते है
दिन -दोपहर गोली से मार गिराते है
जुर्म किसी और का सज़ा कोई और पाता है
यहां बेटियां पढ़नी तो चाहिए मगर बढ़ गयी,
तो अंजाम उनका मौत ही आता है
ना जाने क्यों अलग अलग किस्सों में बांटा जाता है जुर्म को
इंसानियत गला घोंट कर मरती है
और हैवानियत का झंडा लहराता है
और हर रोज़ होते है सरेआम बाज़ारों में अपराध घिनौने ,
तब कोई आंख ना उठाता है
गर आती है सुबह के अखबारों में खबर
तब पड़ते में सबको मज़ा बहुत आता है
दोष दूसरों को देने वालों खुद भी जागरूक बनो ,
बेटियां भी सुरक्षित होंगी गर अपनी उँगलियों को जोड़कर मुट्ठी करो |
मोनिका धनगर