- स्कूल जा रही बच्ची को युवकों ने अगवा कर गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया।
- ऑफिस से अपने घर वापस लौट रही बिटिया के साथ बस में कुछ लोगों ने की हैवानियत।
- घर में अकेली महिला को देख पडोसी ने लूटी महिला की इज़्ज़त। किसी को बताने पर दी जान से मरने की धमकी।
- हथियार के दम पर किया युवती से बलात्कार।
- सहेली के घर टूशन पढ़ने जाती थी बच्ची, सहेली की पिता ने ही बनाया हवस का शिकार।
- सौतेले बाप ने किया बाप बेटी के रिश्ते को शर्मसार।
- करीबी रिश्तेदार ने किया बच्ची से बलात्कार।
- 19 वर्षीय बिटिया के साथ कुछ नामजदों ने की बर्बरता। जीभ काटी और रिड की हड्डी तोड़कर दिया पशु होने का सबूत।
- नौकरी का लालच देकर किया युवती के साथ गैंगरेप।
आपने ऊपर जो भी घटनाएं पढ़ीं ये वो घटनाएं हैं जिन्हें हम लगातार सुन रहे हैं। ऐसा शायद ही कोई दिन जाता होगा की दिन हमे बलात्कार की घटना सुनने को न मिले।
कहीं कोई सौतेला बाप बची को बे आबरू करता है, तो कहीं कोई टूशन टीचर अपनी छात्र से अपनी हवस मिटाता है। हम एक स्वतंत्र देश भारत में रहते हैं जहां पर अपराधियों को पूरी आजादी है की वो किसी के साथ भी किसी भी घटना को अंजाम दे सकते हैं जिसमे से सबसे ज़ादा देखि और सुनी जाने वाली घटना है बलात्कार की। वहीँ हमारे देश में पीड़िता के अंदर इतना भी विश्वास नहीं है की वो अपने साथ हुई घटना को पुलिस से बता सके और न्याय की उम्मीद कर सके। क्योंकि हमारे देश में पुलिस से अपराधियों से ज़ादा दर आम आदमी को लगता है, ऐसा क्यों ?
हमारे देश में एक बच्ची को कोई अपनी हवस का शिकार का शिकार बनता है और वो बच्ची अपने लिए न्याय की उम्मीद भी नहीं कर सकती, ऐसा क्यों ?
आखिरकार ऐसी क्या कमजोरी है हमारे देश की कानून व्यवस्था की, कि हमारी पुलिस देश कि महिलाओं को सुरक्क्षा प्रदान नहीं करा सकती। क्यों पुलिस को देख कर महिलाओं के अंदर एक विश्वास नहीं जगता क्यों महिलाएं खुदको सुरक्षित महसूस नहीं करती, आखिर क्यों हमारी पुलिस इतनी असमर्थ हैं सुरक्षा प्रदान करने में।
हमारे देश में पुलिस चौराहे पर जितनी सख्ती हेलमेट पहनने पर करती है उतनी सख्ती रात के वक़्त किसी बिटिया को सुरक्षा प्रदान करने में क्यों नहीं करती, ऐसा क्यों ?
क्यों हर चौराहे पर बेहेन बेटियों कि सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात नहीं कि जा सकती। क्यों पुलिस कि गाड़ी शाम होते ही गश्त नहीं लगा सकती क्या पता किसी सुनसान गली में कोई बिटिया सेहमति हुई अपने घर कि और जा रही हो, क्यों हमारी पुलिस उस बिटिया को हिम्मत नहीं दे सकती।
रात को सड़कों पर बेवजह घूम रहे लड़कों से क्यों पुलिस पूछताछ नहीं कर सकती जिससे उनके मन में डर बेथ सके जिससे वो रात को आवारा गर्दी करते न दिखें और किसी बेहेन बेटी को परेशां न करें।
क्यों हमारे देश में महिलाएं या आम जनमानस पुलिस को देखकर मेहफ़ूज़ मह्सूस नहीं करते हैं, ऐसा क्यों ? क्या कारन है इसका ? क्यों हमारे देश पुलिस अपराधियों को कम और आम नागरिक ज़ादा डर लगता है ? आखिर ये कहावत कहाँ से बानी कि “पुलिस से न दोस्ती अच्छी और न ही दुश्मनी”।
क्या आपको नहीं लगता है कि हमारी बहन बेटियों कि सुरक्षा के लिए हर चौराहे पर पुलिस कि तैनाती होनी चाहिए और शाम होते ही सुनसान क्षेत्रों में पुलिस पेट्रोलिंग होनी चाहिए। अगर आपको ऐसा लगता है तो कमेंट करके अपनी राय ज़रूर दें ।
मोहित कुमार
(संपादक XMT न्यूज़ )
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