उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की से हैवानियत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोपी युवकों ने गैंगरेप के बाद लड़की की जीभ काट दी थी। अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में पीड़िता का इलाज चल रहा था और उसकी हालत गंभीर थी। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। सिर्फ एक आरोपी पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज हुआ और उसे भी छोड़ दिया गया था।
घटना हाथरस के थाना चंदपा इलाके के गांव की है। गांव के ही रहने वाले चार युवकों ने दलित लड़की के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। आरोप है कि गैंगरेप के बाद चारों युवकों ने मारपीट करते हुए पीड़िता की जीभ काट दी थी। यही नहीं गला दबाकर हत्या करने की भी कोशिश की गई। इस दौरान हैवानों ने पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। पीड़िता पिछले कई दिनों से जिंदगी और मौत से जूझते हुए अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती है।
आरोपियों ने 19 साल की दलित लड़की के साथ बाजरे के खेत में ले जाकर गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया था। पुलिस ने रेप की धारा में मुकदमा दर्ज ना करते हुए छेड़खानी के आरोप में एक युवक को पकड़ा था। उसके खिलाफ धारा 307 (हत्या की कोशिश) में मुकदमा दर्ज किया गया था। वहीं पुलिस ने कुछ देर बाद ही युवक को थाने से छोड़ दिया था।
गैंगरेप की घटना को अंजाम देते वक्त आरोपी युवकों ने लड़की की जीभ को भी काट डाला था, ताकि वह अपनी जुबान किसी के सामने ना खोल सके। गैंगरेप की शिकार हुई लड़की के साथ युवकों ने मारपीट करते हुए गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की थी। इस दौरान दरिंदों ने उसकी रीढ़ की हड्डी को भी तोड़ दिया गया था। दरिंदगी की शिकार हुई लड़की घटना के 9 दिन बाद जब होश में आई तो अपने साथ हुई आपबीती परिजनों को बताई।
एक दलित लड़की के साथ इतना कुछ हुआ लेकिन फिर भी पुलिस ने सिर्फ हत्या के प्रयास का मुकदमा क्यों लिखा। क्या पुलिस इसमें मिली हुई थी या फिर अपने घूसखोर होने का सबूत आरोपितों को दे चुकी थी। आखिर क्या कारन हो सकता है की एक मासूम लड़की की जान पर बन आयी थी आबरू जा चुकी थी लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस के नुमाईन्दे ने उसे न्याय दिलाने के लिए नहीं सोची। बजाये पीड़ित को न्याय दिलाने के आरोपितों का बचाव क्यों कर रही थी पुलिस ????