मुरादाबाद के हिंदू सम्मेलन में पहली बार अयोध्या, मथुरा, काशी की मुक्ति का नारा लगा। इस आंदोलन की बागडोर विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल को सौंप दी गई। इसी के तहत रामशिला पूजन शुरू हुआ और 1989 में जब रामशिलाएं मथुरा पहुंचीं तो पुलिस ने रामभक्तों पर लाठीचार्ज कर दिया। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति की आग और भड़क गई।
1986 के बाद से ही अयोध्या, मथुरा, काशी की मुक्ति को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने आंदोलन की बागडोर संभाल ली थी। इस दौरान कुछ संत रामजानकी यात्रा लेकर मथुरा पहुंचे। उस समय के सक्रिय हिंदूवादी नेता चंद्रभान गुप्ता, रोशन लाल अग्रवाल, रविंद्र पांडे, हरीश गौड़, अमित अग्रवाल, पंकज शर्मा, आनंद स्वामी, गोपेश्वर चतुर्वेदी ने यात्रा का स्वागत किया।
पंकज शर्मा ने बताया कि उस दौरान यात्रा में कम लोगों की उपस्थिति का लोगों ने मजाक तक उड़ाया था। अशोक सिंघल के नेतृत्व में 1989 में रामशिला पूजन शुरू हुआ। मथुरा में शिलाओं का भव्य स्वागत हो रहा था। इसी दौरान होली गेट पर पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज कर दिया।
पुलिस की कार्रवाई से कार्यक्रम के संयोजक रविंद पांडे के कान का पर्दा फट गया था। बाद में मुलायम सिंह यादव की सरकार के खिलाफ आंदोलन किया गया। करीब 70 हजार लोग गिरफ्तार कर अस्थायी जेलों में भरे गए। सतीश डाबर, ब्रिजेंद्र नागर, ठा.ओमप्रकाश सिंह, रविकांत गर्ग आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।
पंकज बताते हैं कि उन्होंने अपना भेष बदला और अपना नाम डॉ. नैपाल सिंह रख लिया। हिंदूवादी नेता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी बताते हैं कि रामशिला पूजन के दौरान चले आंदोलन के बाद 1990 में सेठ बीएन पोद्दार इंटर कॉलेज में ऐतिहासिक हिंदू समागम हुआ था। जिसमें उमा भारती के उद्बोधन को सुनने के लिए सड़कें जाम हो गई थीं।