नगर निगम के गृहकर विभाग में चपरासी टैक्स निर्धारण व वसूली के काम में लगे हैं, वहीं टैक्स इंस्पेक्टर और बाबू मौज कर रहे हैं। इससे वसूली तो प्रभावित हो ही रही है, शासन के आदेशों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। जिन चपरासियों का काम गृहकर बिल घर-घर पहुंचाना है, वे टैक्स निर्धारण कर रहे हैं।
क्षेत्र में वे खुद को ही राजस्व निरीक्षक बताते हैं। इसके पीछे राजस्व निरीक्षकों से उनकी मिलीभगत है। ये चतुर्थ श्रेणी कर्मी राजस्व निरीक्षकों और टैक्स निर्धारण करने वाले बाबुओं के लिए बेहद जरूरी हैं, क्योंकि वे खुद तो सीट पर बैठे रहते हैं। यह हाल तब है, जबकि शासन आदेश कर चुका है कि किसी से पद के विपरीत काम न लिया जाए। इस कारण निगम प्रशासन को कोर्ट में परेशानी का सामना भी करना पड़ा है। पद के विपरीत काम लिए जाने को आधार बनाकर कई लोगों ने खुद को फोरमैन, राजस्व निरीक्षक बनाने की मांग की है। इनमें कई कर्मचारी नेता भी हैं।