कानपुर के घाटमपुर तहसील क्षेत्र में तैनात लेखपाल राजकरन गौतम (57) की रविवार को हैलट में इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि लालबंगला स्थित एक निजी अस्पताल ने कोरोना रिपोर्ट न होने पर उन्हें आक्सीजन देना तो दूर इलाज तक नहीं किया।
इस बीच उनकी हालत और बिगड़ गई। मजबूरन उन्हें हैलट लेकर पहुंचे। आईसीयू में बेड खाली न होने के कारण उन्हें इमरजेंसी में रखा गया पर कुछ ही देर बाद वे चल बसे। राजकरन 12 साल से घाटमपुर तहसील में तैनात थे। बिधनू थाना क्षेत्र के सतबरी में पत्नी उमादेवी, तीन बेटों अनूप, विशाल और मनीष के साथ रहते थे।
एमएईएस (मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस) फतेहगढ़ कैंट में तैनात मंझले बेटे विशाल ने बताया कि शुक्रवार को उन्हें तेज बुखार आया। अगले दिन सांस लेने में तकलीफ होने के साथ ही गले में खरास भी होने लगी। इस पर उन्हें लेकर लालबंगले स्थित प्राइवेट अस्पताल पहुंचे।
उनका दम घुट रहा था, इसके बाद भी आक्सीजन देना तो दूर डॉक्टरों ने कोई इलाज भी नहीं शुरू किया। इसके बाद हैलट लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने इलाज तो शुरू किया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अगले दिन रविवार शाम को मौत हो गई। सहायक अध्यापक बड़े बेटे अनूप गौतम ने बताया कि डॉक्टरों ने कोविड-19 के सैंपल लिए हैं। 24 से 36 घंटे में रिपोर्ट आ सकती है।