“सुबह फिर होगी”
इस अंधियारी रात के बाद
सुबह फिर होगी,
सब्र करो, हिम्मत रखो
सुबह फिर होगी !!फिर लगेंगे खुशियों के मेले,
दौड़ेंगी फिर से ये ठहरी हुई सड़कें,
फिर से घूमेंगे हम-तुम,
लिए हाथों में हाथ अपनी
पसंद के शहरों में !!फिर से करेंगे इबादत हम
मन्दिर, मस्जिद, चर्च और
गुरुद्वारों में !!फिर से रौनकें आएंगी वापस,
सूनसान पड़े इन शहरों में !!
फिर से होगा वो ही मन्ज़र
जिसका हम तुमको है इन्तेज़ार !!बस कुछ और सब्र करो
यक़ीन रखो, दोपहर के बाद शाम
और शाम के बाद रात के होने पर !!
यक़ीन रखो अपने रब पर !!
सुबह फिर होगी..©रिज़वान रिज़ (मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश)