जरा दिमाग पर जोर डालिए और आज के और 13 साल पहले वाले रोहित शर्मा के बीच तुलना कीजिए, आपको जमीन-आसमान का अंतर नजर आएगा। यह वही रोहित हैं जिन पर कप्तानों की मेहरबानी का ठप्पा लगता रहता था और जिन्हें अपने पहले वनडे शतक के लिए करीब तीन साल और 40 से ज्यादा मैचों का इंतजार करना पड़ा था।
एक अच्छी पारी के बाद वह महीनों तक अपने प्रशंसकों को अगली अच्छी पारी के लिए तरसा देते थे, लेकिन अब रोहित बदल चुके हैं। उनकी बल्लेबाजी का तरीका बदल चुका है। वह एक गैर जिम्मेदार बल्लेबाज से जिम्मेदार और सफल बल्लेबाज बन चुके हैं। रोहित की इस सफलता का राज उनका अनुशासन है। उनके अनुशासन ने उन्हें बेहतर बल्लेबाज तो बनाया ही है, साथ ही उन्हें खेल रत्न भी बना दिया है।देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, क्रिकेटर रोहित शर्मा को मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को मनाए जाने वाले खेल दिवस पर ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिये खेल रत्न के सम्मान से नवाजेंगे। खेल रत्न में भारत में खेलों का सर्वोच्च सम्मान है। उनके साथ टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्र, हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल, पहलवान विनेश फोगाट और पैराखिलाड़ी मरियप्पन थंगाविलू को भी इस साल यह सम्मान दिया जाएगा।