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फिरोजाबाद के निराश कांच उद्योग को वर्चुअल हैंडीक्राफ्ट फेयर से आस, करोड़ों का है कारोबार

फिरोजाबाद की चूड़ियां हों या हैंडीक्राफ्ट। वर्तमान में सब बंद पड़ा है। कोरोना महामारी से कारोबार को उबारने के लिए वर्चुअल हैंडीक्राफ्ट फेयर की शुरूआत की जा रही है। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट (ईपीसीएच) द्वारा इसका आयोजन कराया जा रहा है। इस फेयर में देश विदेश के कारोबारी जुड़ेंगे। इस पर एक्सपोर्टरों की निगाह लगी हुई है कि इस फेयर के बाद विदेशों की डिमांड आएगी और वह माल भेज

ईपीसीएच डायरेक्टर जनरल राकेश कुमार और राजेश रावत द्वारा वर्चुअल फेयर का आयोजन किया जा रहा है। वह बताते हैं कि इस फेयर में प्रत्येक एक्सपोर्ट को एक बूथ नंबर जारी किया जाएगा। इस फेयर में देश-विदेश के बायर्स ऑनलाइन ही शामिल होंगे। बूथ नंबर को सर्च कर माल की जानकारी लेकर अपने आॅर्डर बुक करा सकेंगे। इसके लिए शहर के 50 से अधिक एक्सपोर्टरों ने अपने पंजीकरण करा दिए हैं।

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पहले कराया गया था आयोजित
ईपीसीएच द्वारा पहले भी टेक्सटाइल और ज्वैलरी फेयर का आयोजन कराया गया था। वह सफल रहा था। इसी को लेकर डूबते कांच उद्योग को बचाने के लिए एक बार फिर आॅनलाइन देश विदेश के बायर्स को जोड़कर यह फेयर किया जा रहा है। इस फेयर को लेकर ईपीसीएच द्वारा विदेशों में पब्लिसिटी कराई गई थी जिससे लोगों को जानकारी हो सके कि इस फेयर में वह अपनी सीट बुक कर सकें।

यह है जिले में एक्सपोर्टरों की संख्या
जिले में बड़े स्तर पर हैंडीक्राफ्ट का सामान तैयार कराया जाता है। जिसमें हाथ से तैयार झूमर, कांच की टेबल, दरवाजे के हैंडल, फ्लॉवर पॉट के अलावा विभिन्न प्रकार के कांच आयटम तैयार किए जाते हैं। अधिकतर यह सामान देश विदेश में एक्सपोर्ट किया जाता है। एक वर्ष में करीब हैंडीक्राफ्ट का एक्सपोर्ट कारोबार 200 से 300 करोड़ का होता है लेकिन इस बार कोरोना ने इस कारोबार को गर्त में पहुंचा दिया है। जिले भर में हैंडीक्राफ्ट के करीब 125 कारखाने हैं जिनमें करीब 70 हजार से अधिक वर्कर काम करते हैं और इस माल को एक्सपोर्ट करने वाले एक्सपोर्टरों की संख्या भी करीब 20 हजार के आस-पास है।

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